इंडिया रिपोर्टर लाइव
सीहोर 28 फरवरी 2022। सीहोर जिले के रेहटी में रहने वाले शुभम मेश्राम यूक्रेन में फंस गए हैं। उनके पिता बेटे को वापस प्रदेश लाने की तमाम कोशिशें कर रह हैं। पिता से बात करने के दौरान शुभम ने उन्हें जो कहा वह सुनकर उनकी आंखे नम हो गईं। उन्होंने बताया कि बेटे ने फोन पर बताया कि वह दो दिन से भूखा है और करीब 16 किमी का सफर तय कर पोलैंड बार्डर पर पहुंचा है। उसके साथ कई अन्य भारतीय छात्र और यूक्रेन के नागरिक भी पोलैंड बार्डर पर फंसे हैं, जहां रूस आर्मी का कब्जा है। आर्मी के जवानों ने सभी को अपनी निगरानी में रखा है और आर्मी के लोग बाहर किसी से संपर्क नहीं करने दे रहे हैं। वीडियो कॉल करने पर रूस के सैनिक नाराज हो जाते हैं। शुभम ने चुपके से फोन पर पिता से संपर्क किया। उसने रात करीब 1:30 बजे पिता को मैसेज सेंड कर के कहा कि उसे यहां से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। वह बहुत हताश था, उसने कहा कि पापा आप मुझे कैसे भी वापस बुला लीजिए।
एक मजबूर पिता अपने बेटे की सलामती के लिए मन्नतें कर रहा है। बेटे को खुद से दूर पिता ने भविष्य बनाने के लिए भेजा था, लेकिन किसे पता था कि वहां जाकर बेटे का जीवन ही संकट में पड़ जाएगा। बेटे की करुण पुकार सुनकर पिता रो तो सकते हैं लेकिन वह उसकी मदद के लिए फिलहाल कुछ नहीं कर पा रहे हैं सिवाय सरकार से उम्मीद लगाने के। शुभम के पिता को भरोसा है कि उनका बेटा भी जल्द ही यूक्रेन से सुरक्षित घर वापस आ जाएगा। बता दें सीहोर जिले के दो छात्र शुभम और दिव्या यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों ही फिलहाल यूक्रेन में फंस गए हैं और परिजनों और सरकार से मदद की गुहार लगा रहा हैं। बच्चों को लेकर परिवार के सभी लोग बेहद परेशान और चिंतित हैं। रूस के लगातार हमलों से माता-पिता का हाल और भी ज्यादा खराब है।
यूक्रेन में फंसे शुभम के पिता रविंद्र मेश्राम ने बताया कि एंबेसी से फोन आया था। उन्होंने मुझसे दस्तावेज मंगवाए थे। जो मैंने उन्हें भेज दिए। साथ ही मैंने सरकार से मांग की है कि वे छात्रों को एयरलिफ्ट करने के लिए पोलैंड बार्डर पर भी विमान भेजें, ताकि जल्द से जल्द छात्रों को वापस लाया जा सके।
वहीं जिले के रेहटी की ही दिव्या सिंह भी यूक्रेन में पढ़ाई कर रही हैं। दिव्या की बात अपने पिता डॉ.. मेहरबान सिंह से लगातार हो रही है। दिव्या के पिता के अनुसार उनकी बेटी पूरी तरह से सुरक्षित है। वह फिलहाल यूक्रेन के टार्नोपिल शहर में है। जहां वह अपनी साथी छात्राओं के साथ एक फ्लेट में रह रही है। उसने बताया कि यहां हालात सामान्य हैं। इस संबंध में कलेक्टर चंद्र मोहन मिश्रा ने बताया कि छात्रों को लाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। जिसका कंट्रोल रूम भोपाल में ही बनाया गया है।