
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 13 जुलाई 2023। दिल्ली में यमुना का जलस्तर गुरुवार को सुबह बढ़कर 208.48 मीटर पर पहुंच गया, जिससे आसपास की सड़कें, सार्वजनिक व निजी बुनियादी ढांचे जलमग्न हो गए और नदी के पास रहने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर बुधवार रात 208 मीटर के निशान को पार कर गया था और बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक बढ़कर 208.48 मीटर पर पहुंच गया। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अनुसार, इसके और बढ़ने की आशंका है, उसने इसे ‘‘भीषण स्थिति” करार दिया है।
पीने के पानी की हो सकती है किल्लत
यमुना के जलस्तर के बढ़ने के कारण वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में बाढ़ का पानी घुस गया। इस बाबत जल बोर्ड के अधिकारी मोटर को सुरक्षित रखने के प्रयास में लगे हुए हैं। वहीं पानी की मोटरों के रखरखाव के कारण दिल्ली में पीने के पानी की दिक्कत हो सकती है। बाढ़ का पानी वजीराबाद और चंद्रावल तक पहुंच गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने से आज कई जल शोधन संयंत्र (water purification plant) बंद करने पड़े हैं। यमुना किनारे बने वजीराबाद वाटर प्लांट का आज मैंने खुद दौरा किया। जैसे ही स्थिति यहां सामान्य होगी हम इसे जल्द शुरू करेंगे।” उन्होंने कहा कि यमुना में बढ़ते जल स्तर की वजह से वजीराबाद, चन्द्रावल और ओखला जल शोधन संयंत्रों को बंद करने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वजह से दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी की परेशानी होगी। जैसे ही यमुना का पानी कम होगा, इन्हें जल्द से जल्द चालू करने की कोशिश करेंगे।
सोमनाथ भारती ने ट्वीट कर कहा कि यमुना में पानी का स्तर लगातार बढ़ने के कारण ओखला स्थित पंप हाउस में बाढ़ का पानी घुस गया। दिल्ली में पीने के पानी की समस्या से न जूझना पड़े इसके लिए पंप हाउस के मोटर का बचाव करने में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी जुटे हुए हैं। दिल्ली जल बोर्ड के पास 10 ट्रीटमेंट प्लांट्स हैं। जिसमें से वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट यमुना जी के पास है। यह प्रतिदिन 134 एमजीडी पीने का पानी उपलब्ध कराता है। शाम 6 बजे मैं वजीराबाद के ट्रीटमेंट प्लांट के दौरे पर गया था। यमुना का जलस्तर दो फीट तक बढ़ने के कारण वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के अंदर तक पानी घुस गया।
दिल्ली में कब-कब बिगड़े हालात
दिल्ली में बड़ी बाढ़ 1924, 1977, 1978, 1988, 1995, 1998, 2010 और 2013 में आईं। 1963 से 2010 तक के बाढ़ आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि सितंबर में बाढ़ आने की प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में घटती है।