इंडिया रिपोर्टर लाइव
इस्लामाबाद 22 फरवरी 2023। पाकिस्तान अपने अस्तित्व के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हालात ये है कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है और उसकी डूबती अर्थव्यवस्था को सिर्फ कर्ज ही बचा सकता है। पाकिस्तान की सरकार बीते दिनों आईएमएफ (IMF) से कर्ज पाने के लिए बातचीत कर रही थी लेकिन आईएमएफ की शर्तों को पाकिस्तान की सरकार ने मानने से इनकार कर दिया और यह डील अटक गई। अब पाकिस्तानी मीडिया की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की आईएमएफ के साथ डील अटकने की वजह क्या थी।
क्या चाहता है आईएमएफ?
रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जेवा ने बीते दिनों म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस से इतर एक जर्मन ब्रॉडकास्टर के साथ बातचीत में कहा था कि हमने पाकिस्तान की सरकार से ऐसे कदम उठाने के लिए कहा था, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था सही से काम कर सके और उसे अपने कर्ज को पुनर्गठित करने की जरूरत ना पड़े। जॉर्जेवा ने सलाह दी कि पाकिस्तानी सरकार को सरकारी और निजी वर्ग के उन लोगों पर टैक्स लगाने की जरूरत है जिनकी कमाई ज्यादा है और गरीब वर्ग को सब्सिडी देनी चाहिए। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि आईएमएफ क्या सिर्फ अमीरों पर टैक्स लगाने की सलाह दे रहा है या फिर जिन्होंने अपने बकाया टैक्स का भुगतान नहीं किया है जैसे रियल एस्टेट, रिटेल, कृषि आदि पर भी टैक्स बढ़ाने की बात कह रहा है।
पाकिस्तान की क्या है मजबूरी?
रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ की ये सलाह पाकिस्तान सरकार के लिए मानना बेहद मुश्किल है। इसकी वजह है राजनीति। दरअसल शहबाज शरीफ सरकार पहले ही बढ़ती महंगाई और इमरान खान के विरोध के चलते मुश्किल में है। ऐसे में वह अपने मतदाता वर्ग खासकर रिटेल और रियल एस्टेट वर्ग से जुड़े लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ाकर, उन्हें नाराज नहीं करना चाहते। शहबाज शरीफ की सरकार ने बड़े उद्योगपतियों को ऊर्जा और टैक्स में बड़ी सब्सिडी दी हुई है। ऐसे में सरकार सब्सिडी घटाकर और टैक्स लगाकर अपने समर्थकों को नाराज नहीं करना चाहती। यही वजह है कि पाकिस्तान और आईएमएफ की डील नहीं हो सकी।
पिस रही पाकिस्तान की गरीब जनता
पाकिस्तान सरकार की मुश्किल ये है कि वह आईएमएफ की शर्तों के पालन के लिए अप्रत्यक्ष टैक्स भी नहीं लगा सकती क्योंकि इसका असर पाकिस्तान की आम जनता पर पड़ेगा, जो पहले से ही बढ़ती महंगाई से बेहाल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का टैक्स सिस्टम ऐसा है, जिसमें अमीर और अमीर होते जाते हैं और गौरतलब बात ये है कि यही अमीर वर्ग राजनीति को नियंत्रित करता है। ऐसे में लगता नहीं है कि पाकिस्तान के बुरे दिन अभी खत्म होने वाले हैं। जिस तरह से वहां राजनैतिक अस्थिरता बढ़ रही है, उससे आशंका पैदा हो रही है कि या तो पाकिस्तान दिवालिया हो सकता है या फिर एक बार फिर वहां फौजी शासन की वापसी हो सकती है!