इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 08 अक्टूबर 2024। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल अब सिर्फ 1 महीने का शेष रह गया है। अगले महीने यानी 10 नवंबर को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई के पद से रिटायर हो जाएंगे। अपना पद छोड़ने से पहले वह कई अहम मामलों में फैसला सुना सकते हैं। दरअसल, दरअसल, 8 नवंबर (शुक्रवार) को लास्ट वर्किंग डे से पहले सीजेआई के पास सिर्फ़ 15 वर्किंग-डे बाकी हैं, इस दौरान उन्हें संविधान पीठ के कई फैसले और आदेश देने हैं, जिन पर उन्होंने अपना आदेश सुरक्षित रखा है। आईए जानते हैं कि सीजेआई के पास कौन-कौन से ऐसे मामले लंबित हैं, जिन पर उन्हें अपना फैसला सुनाना है।
AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान बेंच ने फरवरी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट आने वाले दिनों में यह तय करने के लिए अपना आदेश सुनाएगा कि एएमयू को भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है या नहीं। संविधान के अनुच्छेद 30 में प्रावधान है कि सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म या भाषा के आधार पर हों, अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार होगा।
क्या प्रॉसेस शुरू होने के बाद भर्ती नियमों में संशोधन होगा?
5 जजों की संविधान बेंच ये तय करेगी कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं। जुलाई 2023 में इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया था। मामला राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा है, जब 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था। जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें बताया गया कि केवल वे उम्मीदवार ही नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने अपनी परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए होंगे। इस फैसले का उन उम्मीदवारों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जो इस तरह की सरकारी नौकरी पाने के लिए परीक्षा देते हैं।
क्या असम एनआरसी वैध है?
नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6A को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ अपना फैसला सुनाएगी। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की 5 जजों की बेंच ने दिसंबर 2023 में आदेश सुरक्षित रख लिया था। धारा 6ए के तहत 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले और राज्य में सामान्य रूप से रहने वाले विदेशियों को भारतीय नागरिकों के सभी अधिकार और दायित्व प्राप्त होंगे। 1 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच राज्य में प्रवेश करने वालों के पास समान अधिकार और दायित्व होंगे, सिवाय इसके कि वे 10 साल तक मतदान नहीं कर पाएंगे। शीर्ष न्यायालय का फैसला ये भी तय करेगा कि संसद को नागरिकता कानून बनाने का कितना अधिकार है।
इंडस्ट्रियल एल्कोहल को कंट्रोल करने का अधिकार किसका?
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन और वित्तीय निहितार्थों के संबंध में मामले की सुनवाई करेगी। शीर्ष न्यायालय इस फैक्ट पर विचार कर रहा है कि राज्यों या केंद्र के पास औद्योगिक शराब को रेग्युलेट करने का अधिकार है या नहीं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केंद्र और राज्यों दोनों के लिए राजस्व के एक महत्वपूर्ण सोर्स को प्रभावित करता है।
क्या केंद्र के पास वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन की पावर है?
सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की संविधान पीठ प्राइवेट प्रॉपर्टी को अधिग्रहित करने और री-डिस्ट्रीब्यूट करने के सरकार के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामले पर फैसला लेगी कि क्या उन्हें संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के अनुसार कम्युनिटी का फिजिकल रिसोर्स माना जाना चाहिए। अनुच्छेद 39(बी) संविधान की स्टेट पॉलिसी के निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत आता है, जो यह प्रावधान करता है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित किया जाए कि यह आम लोगों के हित में हो। वहीं, अनुच्छेद 31(सी) कुछ निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी करने वाले कानूनों की रक्षा करता है। कोर्ट के समक्ष मुख्य मुद्दा संविधान के दो प्रावधानों- अनुच्छेद 31सी और अनुच्छेद 39(बी) से संबंधित है। ये दोनों आर्टिकल स्टेट पॉलिसी के निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा हैं। संविधान कहता है कि कानून बनाते समय इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा।
BYJUS को लेकर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट BYJUS के विदेशी निवेशकों की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें अमेरिकी ऋणदाता GLAS ट्रस्ट कंपनी LLC द्वारा BYJUS के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही को रद्द करने और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल द्वारा इसके बोर्ड को बहाल करने के खिलाफ दायर मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश सुरक्षित रखते हुए यह भी स्पष्ट किया था कि जब तक निर्णय नहीं सुनाया जाता, अंतरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल यथास्थिति बनाए रखेंगे और लेनदारों की समिति की कोई बैठक नहीं करेंगे।
कोलकाता के आरजी कर मामले में सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच देशभर में डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स द्वारा दिए गए सुझावों पर सुनवाई करेगी। कोलकाता अस्पताल में रेप और मर्डर के बाद सीजेआई ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।