इंडिया रिपोर्टर लाइव
रायपुर (छत्तीसगढ़)। कोरोनावायरस महामारी के चलते देश मैं लॉकडाउन अब 3 मई तक बढ़ गया है मतलब अब 19 दिन तक देश के हालात पहले जैसे ही रहेंगे ! लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि 14 अप्रैल तक लॉक डॉन खत्म हो जाएगा खत्म नहीं होगा तो कम से कम सख्ती में कुछ ढिलाई दी जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ लॉक डॉन के पिछले 21 दिनों ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है खासकर मध्यम वर्ग के सामने तो रोजी रोटी की समस्या पैदा हो गई है व्यवसाय बंद है रोजगार छिन गए आजीविका के साधन ठप्प ऐसे हालातों में 19 दिन का और लॉकडाउन तो इस बार बहुत कष्टदायक होने वाला है 14 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने देश को संबोधित किया था तब आशा की जा रही थी कि मोदी जी इस वर्ग के साथ-साथ अन्य वर्ग के लोगों के लिए आर्थिक राहत की घोषणा करेंगे लेकिन मोदीजी के लगभग आधे घंटे के संबोधन में धन्यवाद सहयोग और अपील के अलावा कुछ नहीं कहा ! देश के हालातों को देखते हुए उन्हें राहत देने की घोषणा करनी चाहिए थी क्योंकि देश का प्रत्येक नागरिक बहुत परेशान है आज बहुत बड़ा तबका, मध्यमवर्ग, बिना बीपीएल कार्ड धारक मठ मंदिरों में पूजा करने वाले पंडित पुजारी, रोज कमाने खाने वाले, अधिवक्ता, प्राइवेट कर्मचारी, पत्रकार छोटे छोटे व्यवसाई सबके सामने रोजी-रोटी की समस्या बड़ा विकराल रूप धारण किए हैं सरकार को कोरोना को हराना है सच है लेकिन हर घर में चूल्हा भी जलता रहे यह भी ध्यान रखना होगा ऐसा ना हो इन वर्गों पर दोहरी मार हो जाए बाहर कोरोना का खौफ और घर में रोटी ना होने का खौफ इन्हे मजबूर और लाचार बना दे
हम जानते हैं कि लॉक डाउन की स्थिति से देश के उच्च वर्ग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है अब बचता कौन है निम्न एवं मध्यम वर्ग जिसकी अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है वह लॉकडाउन की अवधि मैं पिस्ता जा रहा है इसकी सुनवाई नहीं हो रही है यह वर्ग देश प्रदेश की आधी आबादी है निश्चित है कि यदि मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी तो देश की आर्थिक स्थिति भी नहीं सुधर पाएगी यही वह वर्ग है जिसकी देश प्रदेश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है इस वर्ग की अनदेखी करना सरकार की बड़ी भूल और बहुत बड़ा भेदभाव है मध्यम वर्ग को भी वर्तमान समय में राहत की दरकार है एक पत्रकार होने के नाते मैं महसूस कर सकती हूं कि मेरे जैसे हजारों पत्रकारों के साथ साथ मध्यम श्रेणी के लोगों का जीवन बसर कैसे हो रहा है उनके घर का चूल्हा कैसे चल रहा है उन्हें किन किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक संवेदनशील व्यक्ति है उन्हें लोगों की परेशानियों का आभास है उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वह इस वर्ग के लिए भी राहत की पहल करें हम कह सकते हैं कि मुसीबत की इस घड़ी में शिवराज जी दिन रात काम करके महामारी से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इसके साथ-साथ उनसे अपील है कि वह मध्यम वर्ग के लिए तत्काल एक राहत प्रदान करें क्योंकि आज प्रदेश के करोड़ों लोग उनसे आस लगाए बैठे हैं सरकारों के एक आदेश पर प्रदेश वासी नियमों कानूनों का पालन कर रहा है सरकारों का भी दायित्व और कर्तव्य बनता है कि वह लोगों की भावनाओं का आदर करें अमेरिका जैसा राष्ट्र इस महामारी में बहुत बड़ा राहत पैकेज दे रहा है हमारी सरकारों को अमेरिका से सीख लेना चाहिए जबकि अमेरिका तो कोरोना से बहुत ज्यादा प्रभावित है हम सब मानते हैं कि इस समय सब को सयंम और सहयोग करने की आवश्यकता है लेकिन जब संकट रोजी-रोटी पर ही आ खड़ा है तो क्या किया जा सकता है, यह ऐसा ही संकट आ गया है आगामी 19 दिन बड़े संकट के है सरकार को नए सिरे से सोचने की जरूरत है इससे पहले कि लोगों के सब्र का बांध टूटे, उसे पहले सरकारों को लोगों की आशाओं पर खरा उतरना होगा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में केंद्र सरकार प्रदेश सरकार से अपील करती हूं कि मुसीबत की इस घड़ी में लोगों की आजीविका पर आए संकट पर मदद की पहल करें ! साथ ही साथ स्वास्थ्य कर्मी, मीडिया कर्मी, पुलिसकर्मी जो दिन-रात इस विषम परिस्थिति में कार्य कर रहे हैं उनकी ओर विशेष ध्यान दें जिससे कि ऐसी अप्रिय घटना ना हो जो कि भोपाल में एक कॉन्स्टेबल ने अपने आप को गोली मार ली पता चला था कि वह काफी मानसिक अवसाद से ग्रसित था हम दिल्ली की तस्वीर को देखें तो वहां पर 22 वर्षीय महक उत्तराखंड की है जो कि दिल्ली में फंसी हुई है और एक मुट्ठी चावल में दिनभर गुजार रही है जिससे कि उनकी छोटी सी नन्ही बच्ची का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है वहीं लखनऊ की तस्वीर देखेंगे तो सड़क पर गिरे हुए दूध को एक कुत्ता और एक इंसान साथ में पी रहा है यह तस्वीरें बता रही है कि आदमी महामारी से नहीं तो भूखमरी से अवश्य मर जाएगा जिस पर सरकार को बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है सरकार के पास अपना पुराना कोष है एवं वर्तमान समय में भी कई लोग सामने आकर दान कर रहे हैं सरकार को कुछ ऐसी योजनाएं बनाकर प्रति व्यक्ति लाभ पहुंचाने की कोशिश करना चाहिए जिससे इस संकट की घड़ी में कोई भी भूखा ना रहे और कोई भी किसी प्रकार के अवसाद से ग्रसित ना हो समाज में सामंजस्य बना रहे l
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