इंडिया रिपोर्टर लाइव
मुंबई 30 सितम्बर 2023। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोहरे हत्याकांड के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को मुकदमे के लंबित रहने तक अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता क्योंकि यह भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने 26 सितंबर को आकाश सतीश चांडालिया को जमानत दे दी, जिसे पुणे जिले की लोनावाला पुलिस ने दोहरे हत्याकांड और साजिश के आरोप में सितंबर 2015 में गिरफ्तार किया था।
जमानत पर विचार करना जरूरी
अदालत ने आदेश में कहा, ‘अगर किसी आरोपी पर किसी जघन्य अपराध का आरोप लगा हो तो उसे जमानत देने पर विचार करना जरूरी है। वहीं, अगर कोई आरोपी लंबे समय से जेल में सजा काट रहा हो, जिसका अपराध गंभीर हो या न हो तब भी आरोपी की सजा पर विचार करके उसे जमानत दे सकते हैं।’
न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि आरोपी मुकदमे के लंबित रहने के चलते जेल में लंबे समय से बंद हैं। यह भारत के संविधान में शाामिल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
रिहा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि समयबद्ध तरीके से मुकदमे को पूरा करने के निर्देश जारी किए जाने के बावजूद इसका कोई नतीजा नहीं निकला और ऐसी परिस्थितियों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि आरोपी को जितनी सजा काटनी थी, वो पहले ही पूरी कर चुका है। ऐसे में लंबे समय तक जेल बंद रखना सही नहीं है।
आठ साल से काट रहा सजा
वहीं, सतीश चांडालिया के वकील सना रईस खान ने कहा कि चांडालिया आठ साल से सजा काट रहा है। सुनवाई अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस पर पीठ ने कहा कि चांडालिया पर हत्या करने का आरोप हैं।
यह है मामला
बता दें, चांडालिया और उसके साथियों ने कथित तौर पर दो व्यक्तियों का अपहरण किया था। बाद में उनकी हत्या कर दी थी। अभियोजन पक्ष का कहना है कि चंडालिया उन लोगों में से एक था, जिन्होंने दोनों पर हमला किया था। मामले में दो अन्य सह-आरोपी पहले से ही जमानत पर बाहर हैं।