
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 12 दिसंबर 2023। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद-370 के तहत मिला विशेष दर्जा क्या वापस मिल सकता है? क्या 5 अगस्त, 2019 के पहले की स्थिति बहाल हो सकती है? इनके जवाब कोर्ट के आदेश व संविधान में मौजूद है। प्रथमदृष्टया कहा जा सकता है कि यह अब संभव नहीं है।
बदलाव की प्रक्रिया यूं हुई शुरू
5 अगस्त, 2019 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सांविधानिक आदेश 272 जारी किया। इसमें अनुच्छेद-367 में संशोधन किया गया था। अनुच्छेद-370 (3) में संविधान सभा को विधानसभा से बदला गया। तब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन था। विधानसभा की शक्तियां राज्यपाल के हाथों में थी और राज्यपाल की ओर से देश की संसद जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बना सकती थी। सांविधानिक आदेश के कुछ घंटे बाद ही राज्यसभा ने अनुच्छेद-370 (3) के तहत राष्ट्रपति को सिफारिश कर दी कि अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को प्रभावी न रखा जाए। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 राज्यसभा में पारित हो गया।
6 अगस्त को लोकसभा की कार्यवाही
संसद ने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के तौर पर विधायी काम किए। लोकसभा ने अनुच्छेद-370 (3) के तहत राष्ट्रपति को सिफारिश में कहा, अनुच्छेद-370 के विशेष प्रावधान प्रभावी न रखे जाएं। उसने पुनर्गठन विधेयक भी पारित कर दिया। वहीं, राष्ट्रपति ने 6 अगस्त को सांविधानिक आदेश 273 जारी किया। इसमें जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद-370 के प्रावधान प्रभावी न रखने की सिफारिश मान ली गई।
इतनी मुश्किल कि असंभव
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सांविधानिक आदेश 273 को वैध माना है। अब अनुच्छेद-370 की वापसी के लिए सरकार को संविधान संशोधन के लिए अनुच्छेद-368 का उपयोग करना होगा। यह संशोधन तभी पारित होगा जब संसद में दो-तिहाई विशेष बहुमत हो। दोनों सदनों को मिलाकर 50 फीसदी सदस्यों की सहमति हो। सबसे अहम, राज्यों की विधानसभाओं में से 50 फीसदी सहमति हो। इसलिए अनुच्छेद-370 की वापसी असंभव-सी दिखती है।