इंडिया रिपोर्टर लाइव
जम्मू-कश्मीर 14 जनवरी 2024। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की पाकिस्तान की साजिशों को नाकाम करने के लिए सेना ऑपरेशन सर्वशक्ति अभियान शुरू कर रही है। इस अभियान में केंद्र शासित प्रदेश के पीर पंजाल पहाड़ी क्षेत्रों के दोनों तरफ सक्रिय आतंकी सुरक्षा बलों के निशाने पर होंगे। हाल के दिनों में पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों ने पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिण में, खासतौर पर राजोरी-पुंछ सेक्टर में अपनी गतिविधियों को तेज करने की कोशिश की है। इन क्षेत्रों में आतंकियों के हमले में लगभग 20 जवान बलिदान हुए हैं, जिनमें 21 दिसंबर को डेरा की गली इलाके में बलिदान हुए चार सैनिक भी शामिल हैं। सुरक्षा बलों के सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सर्वशक्ति के तहत पीर पंजाल पर्वतश्रेणी के दोनों तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। श्रीनगर स्थित चिनार कोर के साथ ही नगरोटा मुख्यालय वाली व्हाइट नाइट कोर दोनों छोर से एक साथ आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। पाकिस्तान की साजिशों को नेस्तनाबूद करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, स्पेशल ऑपरेश ग्रुप और खुफिया एजेंसियां सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करेंगी।
सुरक्षा तैयारियों पर शाह ने की थी बैठक
जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ने से रोकने और सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में उच्चस्तरीय बैठक की थी। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना, खुफिया एजेंसियों के अधिकारी शामिल हुए थे। इसके बाद ही सर्वशक्ति ऑपरेशन शुरू किया जा रहा है।
इस ऑपरेशन पर सेना मुख्यालय और उधमपुर स्थित सेना के उत्तरी कमान की करीबी निगरानी रहेगी। आतंकियों के खिलाफ समन्वयरूप से कार्रवाई के लिए उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की थी। सेना राजोरी-पुंछ सेक्टर में सैनिकों की संख्या भी बढ़ा रही है।
सर्पविनाश की तरह होगा आतंक का सफाया
सूत्रों ने बताया कि इस अभियान के भी 2003 में शुरू किए गए ऑपरेशन सर्पविनाश की तर्ज पर होने की उम्मीद है। ऑपरेशन सर्पविनाश को भी पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिणी भाग में आतंकियों के सफाए के लिए चलाया गया था। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने हाल में कहा था कि 2003 के बाद से इस इलाके में आतंकी गतिविधियां लगभग खत्म हो गई थीं, लेकिन पश्चिम में बैठा शत्रु फिर उसे बढ़ावा देने की कोशिशों में लगा है। उन्होंने वरिष्ठ कमांडरों के साथ बैठकर इस नए खतरे से निपटने के उपायों पर गंभीर मंथन भी किया था।