इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 05 अप्रैल 2024। भारतीय सेना का मानना है कि भविष्य में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी युद्ध क्षमता को विकसित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए ‘प्रतिद्वंदी बल’ के रूप में एक विशेष संगठन तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि प्रतिद्वंदी बल के साथ भारतीय सेना युद्ध और प्रशिक्षण की बारीकियों पर ध्यान दे सके। दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में उच्च पदस्थ अफसरों ने भारतीय सेना की मानव संसाधन प्रबंधन नीति को संशोधित करने का भी निर्णय लिया। अफसरों का मानना है कि भविष्य में भारतीय सेना की तकनीक संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मानव संसाधन प्रबंधन नीति का नवीनीकरण जरूरी है।
भारतीय सेना की बहुआयामी रणनीति पर जोर
इस दौरान भारतीय सेना के उप प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सैन्य कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने मौजूदा सुरक्षा माहौल की समीक्षा करते हुए भारतीय सेना की बहुआयामी रणनीति और केंद्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सेना के तकनीक-सक्षम और आत्मनिर्भर भविष्य के लिए सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाना जरूरी है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना के लिए यह पहल एक बड़ा परिवर्तन साबित हो सकती है।
आत्मनिर्भरता पर रहेगा फोकस
इस सम्मेलन के दौरान सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आत्मनिर्भरता पर ध्यान देने की बात कही। उनका मानना है कि भविष्य की क्षमता विकास की दिशा में विशिष्ट प्रौद्योगिकी को शामिल करना बड़ी पहल साबित होगा। इस दिशा में आर्मी डिजाइन ब्यूरो की नवाचार क्षमता को बढ़ाया जाएगा। सेना ने कहा कि इस पहल को और मजबूत करने के लिए अलग से एक फंड हेड का विकल्प तलाशा जाएगा। इसके अलावा सैन्य परीक्षणों में अधिक दक्षता और निरंतरता सुनिश्चित की जाएगी।
संशोधित होगी मानव संसाधन प्रबंधन नीति
इस सम्मेलन में शीर्ष अधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह फैसला लिया गया कि भारतीय सेना की मानव संसाधन प्रबंधन नीतियों को संशोधित किया जाएगा। यह संशोधित नीति सेना के तकनीक-सक्षम भविष्य के लिए मददगार होगी। इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्नत क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों में तेजी लाई जाएगी। इसके लिए अन्य मंत्रालयों के साथ सहयोग करने के अधिक अवसर तलाशे जाएंगे।