
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 09 नवंबर 2023। लोकसभा चुनाव में जाति के सवाल को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने के विपक्ष के दांव से सतर्क मोदी सरकार आगामी जनगणना में जाति की गिनती कराने के संबंध में पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद मंथन करेगी। अंतिम निर्णय से पहले भाजपा के ओबीसी नेताओं के बिहार जाति गणना के जमीनी स्तर पर प्रभाव संबंधी फीडबैक का इंतजार है। भाजपा नेतृत्व खासतौर से जाति राजनीति की पहचान माने जाने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश से फीडबैक का इंतजार कर रहा है। इस संदर्भ में बीते 2 नवंबर को हुई ओबीसी नेताओं की बैठक में उपस्थित बिहार के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार में जाति गणना का जमीनी स्तर पर व्यापक प्रभाव है। बैठक में भी तय हुआ था कि इसके प्रभाव का आकलन कर ही कोई निर्णय किया जाएगा। जाति जनगणना के बाद नीतीश सरकार ने जिस तरह आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है, उससे लोकसभा चुनाव में जाति का सवाल सबसे अहम हो जाएगा।
अमित शाह के बयान से अहम फैसले के संकेत
जाति गणना के संदर्भ में भविष्य में अहम फैसला करने संबंधी संदेश बीते हफ्ते छत्तीसगढ़ में गृह मंत्री अमित शाह के बयान से मिला। छत्तीसगढ़ में शाह ने कहा कि भाजपा ने कभी इसका विरोध नहीं किया है। इसके अलावा सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले राजग के सभी सहयोगी दल और इनके नेता खुल कर जाति गणना की मांग कर रहे हैं।
बिहार-यूपी पर खास निगाहें
इस संदर्भ में पार्टी नेतृत्व की खास निगाहें बिहार और यूपी पर है। इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 120 सीटें हैं और राजनीति में जाति का प्रभाव सबसे ज्यादा है। जाति राजनीति की काट के लिए पार्टी ने दोनों ही राज्यों में सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले कई दलों को जोड़ा है। ओबीसी से जुड़ी उपलब्धियों के व्यापक प्रचार प्रचार, सामाजिक (जाति) सम्मेलन की व्यापक योजना तैयार की है।
चिराग को फिर विलय का प्रस्ताव
बिहार में जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा ने चिराग पासवान को अपनी पार्टी का भाजपा में विलय का फिर से प्रस्ताव दिया है। विलय के एवज में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने और बाद में राज्य में पार्टी का चेहरा बनाने का वादा किया गया है। पार्टी की योजना चिराग-जीतन राम मांझी के जरिये दलित वोट बैंक पर एकाधिकार जमाने की है।