इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म हो गई है. वह पिछले साल 5 अगस्त 2019 से नजरबंद थे. सरकार ने मंगलवार को उमर अब्दुल्ला के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया. इस तरह सात महीने से अधिक हिरासत के बाद उमर की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने ट्वीट किया, “सरकार ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत में रखने के आदेश को उठाने का फैसला किया है.” इससे पहले उनके पिता फारूक अब्दुल्ला को भी रिहा कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत सरकार को यह बताने के लिए कि वह उमर को नजरबंदी से रिहा करने की क्या योजना बना रही है और इस बारे में अदालत को सूचित करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था, मगर उससे पहले ही उमर की रिहाई के आदेश आ गए. दरअसल 10 फरवरी को, उमर की बहन ने पीएसए के तहत हिरासत में रखने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के बाद अब सबकी निगाहें पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती की रिहाई पर टिकी हैं. वह भी पीएसए के तहत ही नजरबंद हैं.
गौरतलब है कि इन तीन पूर्व मुखिमंत्रियों सहित दर्जनों नेताओं और उनके समर्थकों को पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही हिरासत में लिया गया था मगर फिर धीरे-धीरे नेताओं को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू हुई. राज्य के जिन 7 नेताओं पर पीएसए लगाया गया था उनमें ये तीन पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल थे.