
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 09 नवंबर 2023। भारतीय नौसेना 2047 तक पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर’ या आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रतिबद्ध है, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 साल मना रहा होगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने बुधवार को यह बात कही। नौसेना प्रमुख गांधीनगर जिले के उवरसाद गांव के पास स्थित कर्णावती विश्वविद्यालय के दीक्षात समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। कुमार ने कहा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शब्दों में रक्षा क्षेत्र एक प्रमुख मांग निर्माता है और भारतीय नौसेना का इस संबंध में एक गौरवशाली ट्रैक रिकॉर्ड है। विभिन्न जहाज निर्माण यार्डों में निर्माणाधीन 65 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ भारतीय नौसेना का लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत का पथप्रदर्शक बनना है। उन्होंने कहा, हमने राष्ट्रीय नेतृत्व से 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की प्रतिबद्धता जताई है। जब हम इसके आर्थिक पहलू को देखते हैं, तो जहाज-निर्माण पर खर्च किए गए प्रत्येक रुपये से 1.82 रुपये का सर्कुलेशन शुरू होता है। जहाज निर्माण के अलावा, नौसेना की मांग का दायरा भारी मशीनरी और संबंधित सहायक उपकरणों से लेकर उच्च-स्तरीय हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक्स तक है। उन्होंने यह भी कहा कि देश 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।
कुमार ने कहा, मुझे भरोसा है कि यह आंकाक्षी विकास शैक्षिक संस्थानों से निकलने वाले युवा और प्रतिभाशाली दिमागों के ज्ञान, उर्जा और उत्साह पर आधारित होगा। नौसेना प्रमुख ने कहा, हमारा देश आजादी के बाद से सबसे रोमांचक समय से गुजर रहा है। हम समतामूलक समाज में रहते हैं। हम एक दशक से भी कम समय में दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। और हम इस दशक के अंत से पहले तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, किसी देश का विकास समुद्रों के माध्यम से निर्यात से जुड़ा होता है, और मात्रा के आधार पर भारत का 95 फीसदी व्यापार और मूल्य के अनुसार 68 फीसदी समुद्रों पर पारगमन के साथ प्रत्येक नागरिक की आजीविका समुद्रों से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, भारतीय नौसेना को हमारे समुद्री व्यापार की रक्षा और संवर्धन के साथ-साथ हमारे समुद्री हितों को संरक्षित करने का कार्य सौंपा गया है। इसलिए हम आर्थिक विकास और समग्र राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में भी योगदान देते हैं।