इंडिया रिपोर्टर लाइव
वांशिगटन 12 अप्रैल 2024। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में फिलीपींस के राष्ट्रध्यक्षों से मुलाकात की। यह इन देशों के बीच पहली त्रिपक्षीय औपचारिक मुलाकात है। तीनों नेताओं की एकसाथ बैठक को चीन की बढ़ती चुनौती से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल जापान और फिलीपींस दोनों ही देशों का चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में जापान के पीएम फुमियो किशिदा और फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्दिनांद मार्कोस जूनियर के साथ बैठक की। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका, जापान और फिलीपींस की सुरक्षा के लिए समर्पित है। बाइडन ने कहा कि जब हम एकजुट होते हैं तो हम सभी के लिए सुनहरा भविष्य बनाने में सक्षम होते हैं। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब जापान का चीन के साथ सेनकाकु द्वीप को लेकर विवाद चल रहा है। वहीं फिलीपींस का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है।
हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए अमेरिका लगातार साझेदारियां बना रहा है। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर अमेरिका ने क्वाड का गठन किया है। वहीं ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर ऑक्स का गठन किया है। अब फिलीपींस, जापान के साथ मिलकर अमेरिका ने एक नया त्रिपक्षीय गठबंधन तैयार किया है। तीनों नेताओं की बैठक में चीन के ताइवान और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रुख, उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु युद्ध की चुनौती और इसके रूस के साथ बढ़ते संबंधों पर चर्चा हुई।
फिलीपींस और चीन में है सीमा विवाद
फिलीपींस और चीन के बीच विवाद का कारण सेकंड थॉमस शोल इलाके को लेकर है। यह इलाका फिलीपींस के पलावन द्वीप के तट से करीब 200 किलोमीटर दूर है। फिलीपींस और चीन दोनों ही देश इस जगह अपना दावा करते हैं। साल 1990 में फिलीपींस ने यहां अपना एक जहाज तैनात किया था ताकि इस इलाके पर उसका अधिकार रहे। अब भी वह जहाज वहां तैनात है, लेकिन अब वह बेकार हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद अपने दावे को मजबूत रखने के लिए फिलीपींस ने जहाज पर अपने सैनिकों का एक छोटा दल तैनात किया हुआ है, जिन्हें फिलीपींस द्वारा राशन की सप्लाई की जाती है। बीते साल अक्तूबर में फिलीपींस का एक जहाज जब सेकंड थॉमस शोल में तैनात सैनिकों के लिए राशन की सप्लाई करने जा रहा था तो चीनी नौसेना के जहाजों ने फिलीपींस के जहाज को टक्कर मार दी और वाटर कैनन से फिलीपींस के जहाज पर हमला भी किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
गौरतलब है कि फिलीपींस और अमेरिका के बीच साल 1951 में एक संधि भी हुई थी, जिसमें किसी भी तीसरे देश के हमला करने पर दोनों देश एक दूसरे की मदद करेंगे। गुरुवार को व्हाइट हाउस में हुई बैठक चीन की बढ़ती आक्रमकता को ही जवाब देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। बैठक में अमेरिका ने जापान और फिलीपींस, दोनों देशों को चीन की आक्रामकता के खिलाफ साथ देने का आश्वासन दिया।
‘खुद पर विश्वास रखे अमेरिका’
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने गुरुवार को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘अमेरिकी नेतृत्व इन दिनों विश्वास की कमी से जूझ रहा है और यह समस्या तब आ रही है, जब अमेरिकी नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरूरत है।’ किशिदा ने कहा कि ‘दुनिया को अमेरिका की जरूरत है कि वह विभिन्न देशों के मामलों में अहम भूमिका निभाता रहे। आज जब मैं यहां हूं तो मैं महसूस कर रहा हूं कि कुछ अमेरिकियों को ये पता ही नहीं है कि दुनिया में उनकी क्या भूमिका होनी चाहिए।’ किशिदा ने अमेरिका से अपील की कि वह खुद पर विश्वास रखे और वैश्विक मामलों में अपना दखल बरकरार रखे। किशिदा ने ये भी कहा कि ‘आज जो यूक्रेन के साथ हो सकता है, कल वो पूर्वी एशिया में भी हो सकता है।’