इंडिया रिपोर्टर लाइव
ओटावा 22 मई 2024। खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपी चार भारतीय नागरिकों को कनाडा की एक अदालत ने समुदाय के लोगों से संपर्क नहीं रखने का आदेश दिया। कनाडा की अदालत में इस मामले में पहली बार आरोपियों को पेश किया गया। चार आरोपियों में से तीन करण बराड़ (22), कमलप्रीत सिंह (22) और करणप्रीत सिंह (28) सरे में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांतीय न्यायालय में प्रत्यक्ष रूप से पेश हुए, वहीं अमनदीप सिंह (22) वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालती कार्यवाही में पेश हुआ। अमनदीप सिंह हथियार से जुड़े एक अन्य मामले में ओंटारियो में हिरासत में है। उसे निज्जर हत्या मामले में दस मई को गिरफ्तार किया गया था। ‘सीबीसी न्यूज’ की खबर के अनुसार न्यायाधीश मार्क जेट ने मामले की अगली सुनवाई 25 जून तक के लिए स्थगित की। न्यायाधीश ने एक दुभाषिये के माध्यम से आरोपियों से बात की और उन्हें ‘किसी से संपर्क नहीं करने’ के दायरे में रखने वाला आदेश सुनाया। अदालत में पेशी के दौरान आरोपियों ने जेल की पोशाक पहनी हुई थी। करण बराड़ के वकील रिचर्ड फॉलर ने ‘वैंकूवर सन’ से कहा, ‘‘इस मामले से समुदाय को इतना सरोकार क्यों है यह पृष्ठभूमि को देखते हुए पूरी तरह से समझ में आता है। इसे देखकर मुझे लगता है कि जिन लोगों को अपराध के लिए आरोपित किया गया है उनकी निष्पक्ष सुनवाई हो..।
अदालती कार्यवाही में आने वाले लोगों की अदालत में प्रवेश से पहले तलाशी ली गई वहीं निज्जर के समर्थकों ने अदालत के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। खबर में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान वकीलों ने लोगों के फोन को प्लास्टिक के एक बैग में रखकर उन्हें अदालत कक्ष से बाहर रखवाया। न्यायाधीश ने पर्यवेक्षकों को चेतावनी दी कि ऑडियो रिकॉर्ड करना और तस्वीरें लेना प्रतिबंधित है। खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर (45) की 18 जून 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के बाहर हत्या कर दी गई थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल सितंबर में निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित” संलिप्तता के आरोप लगाए थे जिसके बाद से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में तनाव है। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘‘बेतुका और प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया। कनाडा में सिख अलगाववादी समूहों की मौजूदगी पर भारत लंबे समय से आपत्ति जताता रहा है। निज्जर आतंकवाद के अनेक आरोपों में भारत में वांछित था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में कहा था कि खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों को राजनीतिक प्रश्रय देकर कनाडा सरकार यह संदेश दे रही है कि उसका वोट बैंक कानून के शासन से “अधिक शक्तिशाली” है।