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चेन्नई 18 जनवरी 2024। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के दौरान दो लोगों की मौत हो गई। वहीं 40 लोग घायल हो गए। पुलिस अधीक्षक ने मौत की पुष्टि की है। घटना राज्य के शिवगंगा जिले की है। बता दें, जल्लीकट्टू एक सदियों पुराना कार्यक्रम है, जो तमिलनाडु में पोंगल के अवसर पर आयोजित किया जाता है। जल्लीकट्टू तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में खेला जाने वाला पारंपरिक खेल है, जिसमें बैलों की इंसानों से लड़ाई होती है। विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि एक टैमर बैल के कूबड़ पर कितने समय तक रहता है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है। तमिल शब्द ‘मट्टू’ का अर्थ बैल होता है, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित होता है, जो खेती में एक प्रमुख भागीदार हैं।
हालांकि इस आयोजन के दौरान कई बार लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि सभी इंतजामों के बावजूद काफी लोग जल्लीकट्टू के दौरान घायल हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट से भी कार्यक्रम को हरी झंडी
जल्लीकट्टू को लेकर कई लोगों का मानना है कि इसे रोका जाना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की ओर से जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया था, जिसमें जलीकट्टू को एक खेल के तौर पर मान्यता दी गई है। कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु का जानवरों के साथ क्रूरता कानून (संशोधन), 2017 जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है। तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया था और कहा था कि हमारी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा हुई है।