
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 26 सितम्बर 2023। कनाडा की धरती से खालिस्तानी चरमपंथी बीते 50 सालों से खुलेआम अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं और कनाडा में बोलने की आजादी और राजनीति की आड़ में वहां की सरकार इस पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। अब भारत और कनाडा के बीच संबंध बिगड़ने में भी इन्हीं खालिस्तानी तत्वों का हाथ है। साल 1985 में एयर इंडिया के विमान में बम रखने का आरोप भी खालिस्तानी चरमपंथियों पर लगा था और अमेरिका में 9/11 के हमले से पहले यह दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक था। इसके बावजूद कनाडा सरकार की हीला-हवाली के चलते इस आतंकी हमले का मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार और उसके साथ बच निकले। दुर्भाग्य से तलविंदर सिंह परमार अब प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने प्रचार केंद्र का नाम इसी आतंकी के नाम पर रखा है।
कनाडा में बैठकर पंजाब में फैला रहे अशांति
बीते एक दशक में कनाडा में बैठे ये खालिस्तानी चरमपंथी पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और कई आतंकी घटनाओं में कनाडा के चरमपंथियों का नाम सामने आ चुका है। पंजाब में साल 2016 के बाद कई सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों की हत्या में खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर का नाम सामने आया था। इसी निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद हो रहा है। इसके बावजूद कनाडा में कभी भी इन खालिस्तानियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। अभी भी निज्जर के साथी भगत सिंह बरार, पैरी दुलाई, अर्श डाला, लखबीर लांडा और कई अन्य भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं और कनाडा में सिर्फ ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ बताया जाता है।
पंजाब में ड्रग तस्करी करा रहे खालिस्तानी
पंजाब में आज कई वसूली रैकेट संचालित हो रहे हैं और इनका संचालन अमेरिका और कनाडा में बैठे गैंगस्टर्स कर रहे हैं। पाकिस्तान के रास्ते पंजाब में ड्रग्स तस्करी के पीछे भी इन्हीं गैंगस्टर्स का हाथ है और इस ड्रग तस्करी का पैसा भी वापस इन्हीं चरमपंथियों के पास जा रहा है, जिसका इस्तेमाल वह आतंक को बढ़ावा देने में कर रहे हैं। कनाडा में खालिस्तानियों के बढ़ते प्रभाव के चलते अब कनाडा में ड्रग तस्करी और विभिन्न गैंग्स की गैंगवार अब आम हो रही है।
कनाडा के गुरुद्वारों में बढ़ रहा खालिस्तान समर्थकों का दबदबा
साल 2022 में कनाडा के सरे में भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की साजिश रचने का आरोप निज्जर पर लगा था। हालांकि कनाडा की जांच एजेंसियों ने इस मामले में कोई जांच नहीं की और सिर्फ दो स्थानीय अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। कनाडा में खालिस्तानियों को मिल रहे समर्थन का नतीजा है कि अब कनाडा के गुरुद्वारों में खालिस्तानी चरमपंथियों का दबदबा बढ़ रहा है और वहां से भारत समर्थक सिखों को हटाकर अहम पदों पर खालिस्तान समर्थकों की नियुक्ति की जा रही है।
कनाडा में बढ़ते चरमपंथ का ही नतीजा है कि अब वहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय और उनके पूजा स्थलों पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। साथ ही कनाडा में मौजूद भारतीय मिशन और भारतीय अधिकारियों के लिए भी खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में कनाडा की चुप्पी सवाल खड़े कर रहे हैं और इसी के चलते भारत और कनाडा के संबंध बिगड़ रहे हैं।