इंडिया रिपोर्टर लाइव
ढाका 29 अक्टूबर 2024। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका वापस ले ली गई है। सोमवार को भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेताओं सरजिस आलम, हसनत अब्दुल्ला और हसीबुल इस्लाम की तरफ से ये याचिका ढाका उच्च न्यायालय में दायर की गई थी। अब इस याचिका को वापस ले लिया गया है। गौरतलब है कि कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के प्रदर्शनों के चलते ही शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। याचिका में अवामी लीग समेत 10 अन्य राजनीतिक पार्टियों की गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाने की मांग की गई थी। ढाका उच्च न्यायालय में दायर एक अन्य याचिका में साल 2014, 2018 और 2024 में हुए आम चुनावों की वैधता पर भी सवाल उठाया गया था। इन चुनाव में शेख हसीना की पार्टी ने जीत हासिल की थी। 2024 के चुनावों का तो मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने बहिष्कार किया था। मंगलवार को इस याचिका को भी वापस ले लिया गया। ढाका उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के लिए इन दोनों याचिकाओं को सूचीबद्ध किया था, लेकिन अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही इन याचिकाओं को वापस ले लिया गया। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने पीठ को सूचित किया कि उनके मुवक्किल रिट के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे। जिसके बाद जस्टिस फातिमा नजीब और जस्टिस शिकदर महमूदुर राजी की पीठ ने रिट को सूची से हटाने का आदेश दिया।
राजनीतिक पार्टियों ने जताई नाराजगी
आवामी लीग के साथ-साथ जिन अन्य राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध की मांग की गई, उनमें जातीय पार्टी (इरशाद), जातीय पार्टी (मंजू), गणतन्त्र पार्टी, जातीय समाजतांत्रिक दल, बिकल्प धारा बांग्लादेश, बांग्लादेश तरीकत फेडरेशन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश (सीपीबी), लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (बरुआ) और वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश का नाम शामिल था। याचिका में उनकी पार्टी का नाम शामिल किए जाने पर एलडीपी ने याचिकाकर्ताओं से माफ़ी की मांग की। वहीं सीपीबी ने कहा कि शायद गलतफहमी के कारण उनका नाम लिया गया है और जातीय पार्टी (इरशाद) ने कहा कि वे कानूनी तरीकों से इस मामले को सुलझाएंगे।
सरकार ने कहा- अभी किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध नहीं लगाया
दक्षिणपंथी एलडीपी और वामपंथी सीपीबी, आवामी लीग शासन के कटु आलोचक थे और उन्होंने चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, हसीना के निष्कासन के बाद बांग्लादेश की राजनीति में प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी बीएनपी ने कहा कि वे चुनावों में समावेशिता के लिए किसी भी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध का विरोध करते हैं। अंतरिम सरकार ने सोमवार शाम को कहा कि उसने अभी तक किसी भी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला नहीं किया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मीडिया विंग के प्रवक्ता ने एक ब्रीफिंग में कहा, ‘सरकार ने केवल बांग्लादेश छात्र लीग (अवामी लीग समर्थक छात्र संगठन) पर प्रतिबंध लगाया है। इसने अभी किसी अन्य राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला नहीं किया है।’
बांग्लादेश में शेख हसीना की पूर्व की सरकार के खिलाफ जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। इसके बाद शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और वे भारत आ गईं थी। सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेश में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में बीती 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार गठित की गई, जो फिलहाल बांग्लादेश में प्रशासन कर रही है।