‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ के प्रमुख बने जयतीर्थ राघवेंद्र, इन क्षेत्रों में दे चुके है महत्वपूर्ण योगदान

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नई दिल्ली 27 नवंबर 2024। दुनिया की सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली ब्रह्मोस एयरोस्पेस के नए पमुख के तौर पर प्रसिद्ध मिसाइल वैज्ञानिक डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी को नियुक्त किया गया है। डॉ राघवेंद्र ने तीन दशकों से भी ज्यादा के शानदार करियर के दौरान मिसाइल तकनीक, गैर-विनाशकारी परीक्षण (NDT) और उद्योग विशेषज्ञों के कौशल विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बता दें कि डॉ. जोशी 1 दिसंबर को पदभार संभालेंगे। रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। डॉ. जोशी अतुल दिनकर राणे की जगह लेंगे जिन्हें 2021 में इस पद पर नियुक्त किया था। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का संयुक्त रक्षा उद्यम है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। बात अगर डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी की शैक्षणिक योग्यता की करें तो वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, जहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने NIT वारंगल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। 

अब बात अगर उनके कार्य अनुव की करें तो उनके अनुभव में भारत के मिसाइल कार्यक्रमों, खासकर पृथ्वी और अग्नि मिसाइल प्रणालियों में योगदान शामिल है। इसके साथ ही लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (LRSAM) प्रोजेक्ट के उप परियोजना निदेशक के रूप में, उन्होंने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में अहम भूमिका निभाई। 

इन क्षेत्रों में भी दिया है योगदान

मिसाइल प्रणालियों में योगदान के अलावा, डॉ. जोशी ने 600 से अधिक उम्मीदवारों को रेडियोग्राफी, अल्ट्रासोनिक, चुंबकीय कण और पेनेट्रेंट जैसे NDT तकनीकों में प्रशिक्षण और प्रमाणन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही भारतीय गैर-विनाशकारी परीक्षण सोसायटी (ISNT) के अध्यक्ष के रूप में उनके प्रयासों ने उद्योग की तकनीकी क्षमता को भी जबरदस्त बढ़ाया है। 

अब बात ब्रह्मोस की खासियत पर

भारत और रूस के बीच साझेदारी में बनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने ब्रह्मोस मिसाइल बनाई है जो अपनी तेज़ी और सटीकता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मिसाइल समुद्र और भूमि आधारित लक्ष्यों को रडार की सीमा से बाहर भी सटीकता से निशाना बना सकती है।

बता दें कि नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल को समुद्री प्लेटफार्मों से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह भारतीय नौसेना के लिए एक प्रमुख “स्ट्राइक हथियार” बन गई है। इसे भारतीय नौसेना के विध्वंसक और फ्रिगेट जैसे जहाजों पर तैनात किया गया है, जिससे भारत की समुद्री ताकत को मजबूत किया गया है।

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