
इंडिया रिपोर्टर लाइव
इंफाल 23 जून 2023। मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। हिंसा में अब तक करीब 120 लोगों की जान जा चुकी है और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हिंसा पर राजनीति भी जोरों पर है, विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है कि पीएम मोदी के पास अमेरिका जाने का समय है मणिपुर के लिए नहीं। माकपा ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा पूर्वोत्तर में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का प्रतीक है।
माकपा ने अपने मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में लिखे संपादकीय में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हिंसा को लेकर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। माकपा ने दावा किया कि 2017 में मणिपुर की सत्ता में भाजपा के आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों ने मेइती समुदाय को कुकी समुदाय के खिलाफ एक हिंदू ताकत के रूप में एकजुट किया। इसके बाद वहां संघर्ष की स्थिति बनना आरंभ हुई।
आगे कहा कि मणिपुर आज जल रहा है। केवल चार महीने पहले, फरवरी में, पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड चुनावों में भाजपा की सफलता के बारे में बताया था। उन्होंने ईसाइयों को लेकरर दावा किया था कि क्षेत्र भाजपा को स्वीकार कर रहा है। साथ ही कहा कि राज्य में हिंसा भड़कने के पूरे 26 दिन बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई को राज्य का दौरा किया। उनकी यात्रा और घोषित उपायों से हिंसा नहीं रुकी है। माकपा ने कहा कि मैतेई और कुकी के बीच विभाजन का फायदा चरमपंथी उठा रहे हैं और तत्व अराजक स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। इस मुद्दे पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए संपादकीय में कहा गया है कि कैसे मणिपुर के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में उनसे मिलने का इंतजार कर रहा है।
गौरतलब है कि मैतेई समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई हैं। हिंसा में अब तक करीब 120 लोगों की जान गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं।