अमित शाह का आदेश- मणिपुर के सभी रास्ते खोले जाएं, खत्म हो नशा नेटवर्क

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नई दिल्ली 02 मार्च 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को दिल्ली में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा बैठक की, जिसमें राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने और अवैध हथियारों को वापस करने पर विशेष ध्यान दिया गया। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह पहली सुरक्षा समीक्षा बैठक थी। 2023 से जारी जातीय हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर जानकारी ली। मुख्य रूप से बैठक का फोकस मई 2023 से पहले जैसी सामान्य स्थिति बहाल करने और सभी समूहों द्वारा रखे गए अवैध और लूटे गए हथियारों को लौटाने पर था।

केंद्रीय गृहमंत्री ने दिए अहम निर्देश
अमित शाह ने मणिपुर में 8 मार्च से जनता की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि रास्तों में किसी प्रकार की रुकावट उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, उन्होंने मणिपुर से लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने के काम को जल्द पूरा करने का भी निर्देश दिया। शाह ने राज्य को नशामुक्त बनाने के लिए नशे के कारोबार में लिप्त नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करने की बात भी कही।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
13 फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक निलंबित कर दिया गया है। मणिपुर के राज्यपाल ने 20 फरवरी को अवैध और लूटे गए हथियारों को लौटाने की चेतावनी दी थी। इसके बाद, सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की गई। सात दिनों में 300 से ज्यादा हथियार वापस किए गए, जिनमें 246 हथियार अरंबाई तेंगगोल जैसे मैतेई कट्टरपंथी समूह द्वारा लौटाए गए थे।

हथियार लौटाने की समयसीमा बढ़ाई गई
राज्यपाल ने 6 मार्च शाम 4 बजे तक हथियार लौटाने की समयसीमा बढ़ा दी है, क्योंकि पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों के लोगों ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। 22 महीने पहले मणिपुर में जातीय हिंसा के शुरुआती दौर में पुलिस से हजारों हथियार लूटे गए थे।

मणिपुर हिंसा का इतिहास
मणिपुर में हिंसा मई 2023 में शुरू हुई, जब मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। इस विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। इसके बाद से मणिपुर में लगातार जातीय हिंसा जारी है, और स्थायी शांति की स्थिति अभी भी दूर की कौड़ी बनी हुई है।

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