
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 07 दिसंबर 2024। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को इस बात को खारिज कर दिया कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केंद्र की तरफ से राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कई राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के बारे में लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए भारत सरकार की तरफ से राज्य सरकारों को कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
सिर्फ एक क्षेत्र में नहीं पहुंचा नागरिक कानून- अर्जुन राम मेघवाल
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने संविधान सभा में प्रासंगिक प्रावधान पेश करते हुए देश में समान नागरिक संहिता पर जोर दिया था। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, अब तक एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां नागरिक कानून नहीं पहुंच सके हैं, वह है विवाह और उत्तराधिकार, इसलिए, संविधान के एक भाग के रूप में मसौदा अनुच्छेद 35 (अब अनुच्छेद 44) दिया गया है।
उत्तराखंड ने हाल ही में लागू किया समान नागरिक संहिता
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता के संबंध में कई निर्देश दिए हैं। उन्होंने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए कहा था कि संविधान की भावना भी ऐसी समान संहिता को बढ़ावा देती है। उत्तराखंड ने हाल ही में अपना समान नागरिक संहिता लागू किया है। केंद्र ने इस मामले को विधि आयोग को भेज दिया है, जिसने पिछले साल इस पर नए सिरे से सार्वजनिक विमर्श शुरू किया है। इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने जो अगस्त 2018 तक कार्यरत था, इस मुद्दे पर गौर किया था और दो मौकों पर सभी हितधारकों से विचार मांगे थे।
क्या है समान नागरिक संहिता कानून?
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना। अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा।