
इंडिया रिपोर्टर लाइव
विशाखापत्तनम 17 मई 2025। आंध्र प्रदेश में दो पूर्व नौकरशाहों की गिरफ्तारी पर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। विपक्षी वाईएसआरसीपी ने सीएम चंद्रबाबू नायडू पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के शराब घोटाले में शुक्रवार शाम को दो पूर्व आईएएस अधिकारियों धनंजय रेड्डी और कृष्ण मोहन रेड्डी को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों अधिकारी पिछली वाईएसआरसीपी की सरकार में काफी ताकतवर माने जाते थे। दोनों फिलहाल रिटायर हो चुके हैं।
‘राज्य के प्रशासनिक ढांचे को पहुंचाया जा रहा नुकसान’
आंध्र प्रदेश के 3200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में एसआईटी ने दोनों से पूछताछ की थी और पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। कृष्ण मोहन रेड्डी पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के ओएसडी रहे थे। रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर वाईएसआरसीपी के नेता बी सत्यनारायण ने बयान जारी कर सीएम पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ‘सीएम चंद्रबाबू नायडू बदले की राजनीति कर रहे हैं और राज्य के प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।’
क्या है शराब घोटाला
आंध्र प्रदेश के कथित शराब घोटाले में वाईएसआरसीपी के कई बड़े नेताओं पर आरोप लगे हैं। आरोप है कि इस घोटाले के चलते हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई और इस पैसे को पार्टी फंड में भी जमा किया गया। रिमांड नोट में मुख्य आरोपी के राजशेखर रेड्डी उर्फ राज कसिरेड्डी को बताया गया है। कसिरेड्डी पूर्व सीएम और वाईएसआरसीपी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी का सहयोगी है। इस मामले को लेकर पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं।
कैसे किया गया घोटाला
रिमांड नोट के अनुसार, वाईएसआरसीपी के शीर्ष नेताओं ने विभिन्न शराब ब्रांड्स से हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली, और रिश्वत देने वाले शराब ब्रांड्स को सरकारी दुकानों के माध्यम से बिक्री में तरजीह दी गई। यह रैकेट साल 2019 में शुरू हुआ था, जिसके जरिए हर महीने इकट्ठा की गई रिश्वत को हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के हवाला ऑपरेटर्स के जरिए लूटा गया। आरोप है कि सरकारी खुदरा दुकानों के जरिए बिक्री के लिए शराब की खरीद के लिए ऑर्डर देने की प्रणाली में कथित रूप से हेरफेर किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ब्रांडों को हटा दिया गया और निर्धारित सीमा से कहीं अधिक नए ब्रांडों के ऑर्डर दिए गए थे। इसमें आरोप लगाया गया है कि सस्ते ब्रांडों के लिए 150 रुपये प्रति केस, मध्यम श्रेणी के ब्रांडों के लिए 200 रुपये और उच्च श्रेणी के ब्रांडों के लिए 600 रुपये प्रति केस की रिश्वत ली गई थी।