रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ऐसे फैसले और नवाचार कर रही है जिससे परंपरागत ज्ञान और समझ का इस्तेमाल कर अपने उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग कर खेती किसानी को नई दिशा दी जा सके। गौठानों के लिए पैरा दान की पहल इसी से जुड़ी कड़ी है। दुर्ग जिले में भी पंचायतों में बैठकों में ग्रामीणों से गौठान के लिए पैरा दान की अपील की जा रही है। अपनी आवश्यकता पूरी हो जाने के बाद पैरा गौठान के लिए दान दे देने की अपील उनसे की जा रही है। इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ रहा है। फसल काटने के समय ग्रामीण इसकी जानकारी पंचायत को उपलब्ध करा रहे हैं। पंचायत का अमला वहां पहुंचकर पैरा इकट्ठा कर रहा है।
जिला पंचायत सीईओ श्री गजेंद्र ठाकुर ने बताया कि बैठकों में ग्रामीण अपने गौठानों में चारे की उपलब्धता के लिए काफी उत्साह दिखा रहे हैं। लोगों के उत्साह के चलते पर्याप्त मात्रा में पैरा गौठानों में इकट्ठा हो रहा है। उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत द्वारा पंचायतों में पैरा दान के लिए बैठक करने रोस्टर बनाया गया है तथा इसकी मानिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। ग्रामीण कर रहे चारा दान- ग्राम ढौर में सचिव भुजबल ने बताया कि ग्रामीण अपने बचे हुए चारा हमें उपलब्ध करा रहे हैं। हमारे पास मवेशियों के लिए पर्याप्त चारा हो गया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अपनी फसल कटने पर इसकी जानकारी पंचायत को दे रहे हैं। उदाहरण के लिए आज ही एक ग्रामीण ने अपनी 9 एकड़ फसल में कटाई कराई और बचा चारा उपलब्ध कराया।
हरियाणा और दिल्ली के किसानों द्वारा पराली जलाने से छाये प्रदूषण का सामना बीते दिनों दिल्ली को करना पड़ा। खेतों में पराली जलाना प्रतिबंधित है। देश भर में पराली जलाने के संकट का उपाय देते हुए बीते दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पराली से खाद बनाने की योजना सुझाई। यहां पैरा दान से मवेशियों के लिए चारा बचेगा, पर्याप्त चारे की उपलब्धता होने से मवेशी खड़ी फसल नहीं चरेंगे। अपने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर उन्नत खेती की यह समझ छत्तीसगढ़ को अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग पायदान पर खड़ा कर रही है। प्रशासनिक अमले की पहल और ग्रामीण जागरूकता से मिलकर यह अभिनव प्रयोग सफल होने की दिशा में है और इसका जमीनी असर जल्द नजर आएगा।