
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 25 अगस्त 2021। इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के मुखिया ओम प्रकाश चौटाला रिहाई के बाद से न सिर्फ राजनीति में सक्रिय हो गए हैं, बल्कि तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। आईएनएलडी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने कहा कि अगले महीने एक गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी तीसरे मोर्चे की घोषणा की जाएगी। बता दें कि इंडियन नेशनल लोकदल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला हाल ही में 2000 में गैर कानूनी तरीके से 3,206 जूनियर बेसिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में जेल से रिहा हुए हैं।
ओम प्रकाश चौटाला ने कहा, ’25 सितंबर को मेरे पिता चौधरी देवीलाल जी की जयंती है। इस मौके पर हम जींद में एक रैली का आयोजन कर रहे हैं। मैंने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव जी और केसी त्यागी जी से मुलाकात की है। मैं सभी विपक्षी दल के नेताओं से मिलूंगा और उन्हें इस रैली के लिए आमंत्रित करूंगा। हम वहां एक बैठक करेंगे और आगे की राजनीति को लेकर फैसला करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि हम वहां एक मजबूत गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी तीसरे मोर्चे का ऐलान करेंगे।’
दरअसल, जुलाई में तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद से ही ओम प्रकाश चौटाला तीसरे मोर्चे के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। चौटाला ने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रैली में शामिल होने के लिए सहमत हो गए हैं। उन्होंने कहा वह जींद में रैली में शामिल होंगे। हालांकि, क्या वह हमारे तीसरे मोर्चे को समर्थन देते हैं, यह देखा जाना बाकी है। इसके अलावा, ओम प्रकाश चौटाला ने शरद पवार के उस सुझाव को खारिज कर दिया, जिसमें कहा था कि कांग्रेस को शामिल किए बिना कोई भी विपक्षी मोर्चा संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘लोग कांग्रेस और भाजपा दोनों से नाखुश हैं। उन्हें इन दोनों पार्टियों के अलावा एक विकल्प की जरूरत है। यह हमारे तीसरे मोर्चे द्वारा प्रदान किया जाएगा।
हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने पिता की जयंती समारोह के लिए कांग्रेस नेताओं से संपर्क करेंगे, चौटाला ने कहा कि अभी तक हमने पार्टी के भीतर आंतरिक रूप से इस पर चर्चा नहीं की है। मैं देखूंगा कि पार्टी क्या फैसला करती है। किसानों के मसले पर मोदी सरकार को घेरते हुए चौटाला ने कहा कि किसान आंदोलन सभी के लिए एक रैली बिंदु बन गया है। चौटाला ने मोदी सरकार की तानाशाही नीतियों” की आलोचना करते हुए कहा कि इसने (किसानों के आंदोलन) लोगों को यह भी बताया है कि यह मोदी सरकार अपने नागरिकों और राजनीतिक सहयोगियों के साथ कितनी क्रूरता से पेश आती है।न
बता दें कि इंडियन नेशनल लोकदल भारतीय जनता पार्टी की एक वक्त सहयोगी थी और साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी को बिना शर्त अपना समर्थन दिया था। हालांकि, अब इंडियन नेशनल लोकदल का हरियाणा में राजनीतिक महत्व कम गया है। हरियाणा में अभी चुनाव काफी दूर है, लेकिन राज्य में राजनीतिक स्थिरता डगमगाती रहती है। भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार जजपा के समर्थन पर टिकी है। किसान आंदोलन के चलते भाजपा व जजपा के बीच तनाव बढ़ा था। भाजपा के भीतर भी उथल पुथल चलती रहती है। गौरतलब है कि ओम प्रकाश चौटाला के सक्रिय राजनीति से हटने के बाद ही भाजपा को राज्य में अपनी जड़ें जमाने का मौका मिला है।