हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन कैदियों को 7 साल तक की सजा दी गई है, उन्हें पेरोल देने पर विचार हो
- इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी भी बनाई है, जो तय करेगी कि किसे पेरोल दी जाए

इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में इस बात को लेकर सुनवाई हुई कि भीड़-भाड़ वाली जेलों में कोरोना वायरस फैलने से कैसे रोका जाए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन कैदियों को किसी मामले में 7 साल या उससे कम की सजा दी गई है और वह जेल में बंद हैं, तो उन्हें पेरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला इसलिए सुनाया है, ताकि जेलों में भीड़-भाड़ को कम किया जा सके।
इतना ही नहीं, सु्प्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाए। यह कमेटी ही तय करेगी कि किन कैदियों को पेरोल दी जा सकती है और किसे नहीं। यानी ये कमेटी कैदियों की कैटेगरी बनाएंगे और उनके अपराध और व्यवहार के आधार पर ये तय करेंगे कि किसे-किसे अंतरिम जमानत या पेरोल दी जा सकती है। इस कमेटी में कानून सचिव और स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के चेयरमैन भी होंगे।
बता दें कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सेंट्रल जेल में बंद कैदी भी परेशान हो गए थे। जेल प्रशासन ने भी इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। इसी मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें ये फैसला किया गया कि कुछ कैदियों को पेरोल दी जाएगी। जेल प्रशासन चिंतिंत इसलिए थे क्योंकि अगर जेल में कोरोना पहुंच जाएगा तो देखते ही देखते बहुत सारे लोग इसकी वजह से मारे जाएंगे।