डिंपल के लिए अच्छे नहीं रहे हैं उपचुनाव, मैनपुरी में इन चुनौतियों से पाना होगा पार

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नई दिल्ली 14 नवंबर 2022। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने आज मैनपुरी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। यहां पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। ये सीट सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है। 1996 से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है।

पांच बार खुद मुलायम सिंह यहां से सांसद चुने गए। इसके अलावा मुलायम परिवार के ही तेज प्रताप सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव एक-एक बार यहां से जीत चुके हैं। दो बार सपा के टिकट पर ही बलराम सिंह यादव ने यहां से चुनाव जीता था। अभी तक भाजपा व अन्य दलों ने अपने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है। 

सवाल ये है कि डिंपल यादव के लिए इस चुनाव में क्या चुनौती होगी? अब तक डिंपल का राजनीतिक परफॉरमेंस कैसा रहा है? सपा ने मुलायम की राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए क्या तैयारी की है? भाजपा डिंपल के घेरने के लिए क्या कर रही है?

पहले मैनपुरी लोकसभा सीट के बारे में जान लीजिए

मैनपुरी में अभी करीब 17 लाख वोटर्स हैं। इनमें 9.70 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिलाएं हैं। 2019 में इस सीट पर 58.5% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव को कुल  5,24,926 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के खाते में 4,30,537 मत पड़े थे। मुलायम को 94,389 मतों के अंतर से जीत मिली थी।  

जातीय समीकरण की बात करें तो ये सीट पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बहुलता वाली सीट है। यहां सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब 3.5 लाख है। शाक्य, ठाकुर और जाटव मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। इनमें करीब एक लाख 60 हजार शाक्य, एक लाख 50 हजार ठाकुर,  एक लाख 40 हजार जाटव, एक लाख 20 हजार ब्राह्मण, एक लाख लोधी राजपूतों के वोट हैं। वैश्य और मुस्लिम मतदाता भी एक लाख के करीब हैं। कुर्मी मतदाता भी एक लाख से ज्यादा हैं। 

मैनपुरी लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें चार सीटें- मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल मैनपुरी जिले की हैं। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की दो सीटों पर भाजपा, जबकि दो पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। इसमें मैनपुरी और भोगांव भाजपा के खाते में गई थी, जबकि किशनी और करहल सपा के। करहल से खुद अखिलेश यादव विधायक हैं। वहीं, इटावा की जसवंतनगर सीट पर सपा के टिकट पर शिवपाल सिंह यादव जीते थे।

डिंपल के पक्ष में कौन सी बातें हैं?

सपा का उम्मीद है कि मुलायम सिंह यादव के निधन की सहानुभूति डिंपल को मिल सकती है। डिंपल मुलायम के नाम पर ही ये चुनाव लड़ने वाली हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने नामांकन दाखिल करने से पहले ही कर दी। नामांकन करने के लिए जाते समय डिंपल और अखिलेश यादव पहले अपने मुलायम सिंह यादव की समाधि पर पुष्पाजंलि अर्पित करने पहुंचे। 

डिंपल को किन चुनौतियों को पाना होगा पार? 

इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की।  प्रमोद ने डिंपल की राह में तीन बड़ी चुनौतियां बताईं। 

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