
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 05 मई 2023। पशुओं की बीमारियों से निपटने के लिए भारत ने यूके के साथ साझेदारी की है। इसके तहत दोनों देशों के चिकित्सा संस्थान और वैज्ञानिक मिलकर मवेशियों को बीमारियों से दूर रखने के नए उपाय, जांच और इलाज खोजेंगे। इन प्रोजेक्ट पर करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे, ताकि अर्थव्यवस्था को होने वाले सालाना नुकसान से बचा जा सके। यह समझौता उस वक्त हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन अर्थ, वन हेल्थ, वन फैमिली का मंत्र देते हुए इन्सान, पशु और पर्यावरण को नुकसान से बचाने की अपील की है। भारत की ओर से केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की निगरानी में यह साझेदारी हुई है। डीबीटी के अनुसार, हाल ही में लंपी वायरस की वजह से पूरे देश में करीब 1.50 लाख मवेशियों की मौत हुई है जबकि पांच लाख इस संक्रमण की चपेट में आए हैं। इसकी वजह से दूध उत्पादक क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ है।
जीडीपी का 4.9 फीसदी हिस्सा पशुधन क्षेत्र से
भारत में 53.67 करोड़ पशुधन और 85.18 करोड़ पॉल्ट्री पक्षी हैं। देश की कुल जीडीपी का 4.9% हिस्सा पशुधन क्षेत्र से प्राप्त होता है। कृषि क्षेत्र की कुल जीडीपी में 28.4% योगदान देता है। सालाना 18.77 करोड़ मीट्रिक टन के साथ भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। 2018-2019 के दौरान भारत ने 1030 करोड़ अंडे और 81 लाख टन मांस का उत्पादन किया।
हर साल करोड़ों का नुकसान
साक्ष्य बताते हैं कि मवेशियों में होने वाली आम बीमारी जैसे थन सूजन, मुंहपका-खुरपका, थन चेचक से हर साल देश की अर्थव्यवस्था पर 26 हजार करोड़ का प्रभाव पड़ता है। इसी तरह, पशुओं में थन सूजन रोग से दूध की उत्पादकता में भारी कमी आती है, जिससे हर साल देश में 7,165.51 करोड़ का आर्थिक नुकसान होता है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की 2020-21 रिपोर्ट के मुताबिक, पशुओं पर हर महीने 10 लाख रुपये के एंटीबायोटिक्स लगाए जा रहे हैं।
जूनोटिक रोगों की वजह से जोखिम बढ़ा
केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश एस गोखले का कहना है कि भारत ने भले ही पशुधन क्षेत्र में अच्छी वृद्धि हासिल की गई है, लेकिन पशु रोग इस क्षेत्र के कुशल विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। इस वक्त पूरी दुनिया में जूनोटिक रोगों का असर और चर्चा है। जूनोटिक रोगों की वजह से भी इस क्षेत्र का विकास बाधित हो रहा है। साथ ही, मनुष्यों में जूनोटिक रोग संचरण का जोखिम भी अधिक हो सकता है। यही वजह है कि पशुओं के स्वास्थ्य पर काम करने के लिए भारत ने यूके के साथ यह समझौता किया है।