इंडिया रिपोर्टर लाइव
अमृतसर 05 मई 2023। पांच बार मुख्यमंत्री रहे सरदार प्रकाश सिंह बादल की अंतिम अरदास में स्व. प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लाखों की संख्या में लोग बादल गांव में आए। हजारों लोगों ने कई किलोमीटर पैदल चलकर मिट्टी के सपूत को श्रद्धांजलि दी। पंजाबियों के दिलों में बसा पूर्व मुख्यमंत्री का प्यार हर जगह देखा जा सकता था। समाज के हर वर्गों और धर्मों के लोगों ने गुरु साहिबान द्वारा सिखाए गए सरबत का भला के दर्शन को ध्यान में रखते हुए मानव जाति के बीच शांति और साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को सबसे अधिक महत्व देने के लिए अकाली दल संरक्षक की सराहना की।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बाादल की प्रशंसा करते हुए उन्हें बड़े दिल वाला व्यक्ति बताया जो आपातकाल के खिलाफ खड़ा हुआ था। शाह ने कहा कि श्री बादल ने दशकों के करियर के दौरान गरीबों की भलाई के लिए खुद को समर्पित कर दिया और उनका निधन सिख पंथ के साथ-साथ देश के लिए बहुत बड़ा झटका है, जिसने सच्चा देशभक्त खो दिया है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री की धर्मनिरपेक्ष साख की सराहना की और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पैतृक गांव बादल में एक गुरुद्वारा, मंदिर और मस्जिद का निर्माण कराया था। गृह मंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का निधन उनके लिए एक व्यक्तिगत झटका है और उन्होंने अकाली दल अध्यक्ष एवं सांसद हरसिमरत कौर बादल के साथ भी अपनी संवेदना व्यक्त की। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी इस अवसर पर अकाली नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की और असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा ने भी श्रद्धांजलि दी। इनैलो अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने भी बादल परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए व्यक्तिगत श्रद्धांजलि दी।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सरदार बादल जीवन भर संघवाद के प्रबल समर्थक रहे हैं। बादल साहिब का मानना था कि मजबूत राज्य से ही एक मजबूत राष्ट्र बनता है और यह भी महसूस किया कि राज्य के विषयों में अनुचित केंद्रीय हस्तक्षेप केवल राष्ट्र को कमजोर करेगा। उन्होंने कहा कि दिवंगत नेता भी क्षेत्रीय दलों के महत्व में दृढ़ता से विश्वास करते थे, क्योंकि वे क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को सबसे अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व करते थे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने अकाली नेता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी इच्छा थी कि बंदी सिखों को जीवनकाल में कैद से रिहा किया जाए। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए वचन के अनुसार भाई बलवंत सिंह राजोआणा सहित सभी बंदी सिखों को रिहा करने का आह्वान किया गया था।
वरिष्ठ अकाली नेताओं ने सरदार बादल के ‘मिशन’ को पूरा करने के साथ साथ दिवंगत नेता के आदर्शों के अनुसार भविष्य के लक्ष्यों को निर्धारित करने का आह्वान किया। बलविंदर सिंह भूंदड़ और प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि पूर्व नेता आधुनिक पंजाब के संस्थापक थे और उन्होंने किसानों और कमजोर वर्गों के लिए सबसे अधिक काम किया। अपने चाचा को व्यक्तिगत श्रद्धांजलि देते हुए परिवार के सदस्य मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि अकाली नेता किसानों, गरीबों के अधिकारों, भाईचारे और राष्ट्रवाद की रक्षा के लिए खड़े थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना कि अकाली पितामह ने अपने बुनियादी मूल्यों से समझौता करने के बजाय सत्ता छोड़ने का विकल्प चुना था।
पंजाब बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी ने अकाली सरंक्षक को श्रद्धांजलि दी और उन्हें पंजाब और पंजाबियों के लिए मसीहा बताया। उन्होंने कहा कि सरदार बादल पंजाब के साथ हुए अन्यायों का समाधान करने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे, चाहे वह पंजाबी भाषी, क्षेत्रों का मुद्दा हो या नदी के पानी का मुद्दा यां चंडीगढ़ को राज्य में स्थानांतरित करने का मामला हो। अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने अकाली नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अकाली दल ने पंजाब में साम्प्रदायिक सद्भाव बहाल करने में सबसे बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने विपक्ष को भी आपातकाल पर स्टैंड लेने के लिए प्रेरित किया और 1997 में वाजपेयी सरकार की स्थापना के पीछे उनका सबसे बड़ा हाथ था।
पंजाब सी.पी.आई. के नेता हरदेव अर्शी ने अकाली संरक्षक को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नि:स्वार्थ नेता बताया, जिन्होंने लोगों को सबसे ऊपर रखा यहां तक कि अपनी इकलौती बेटी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल के लिए भी आवेदन नहीं किया। सी.पी.आई. (एम.) के सुखविंदर सिंह ने भी पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि दी।