इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 11 नवंबर 2023। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण तल्ख रुख अपनाते हुए कहा कि जो कोई भी खेत में आग लगाने में शामिल हैं, उनकी फसल पर अगले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलना चाहिए। पीठ ने कहा, उपचारात्मक उपाय के तौर पर ऐसा कुछ किया जाना चाहिए। हर किसी के बच्चे को कुछ प्रोत्साहन मिलना चाहिए या उनकी संपत्ति एक साल के लिए कुर्क की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि वह इसे सरकारों पर छोड़ती है। गाजर और छड़ी वाली व्यवस्था होनी चाहिए, यानी अच्छा काम करने को प्रोत्साहन और खराब करने पर दंड।
एफआईआर कोई समाधान नहीं
पीठ ने यह भी पूछा कि क्या केंद्र पराली साफ करने वाली मशीनों की 50 फीसदी लागत वहन करने के लिए तैयार है। अदालत ने कहा कि खेत में आग लगने पर एफआईआर दर्ज करना कोई समाधान नहीं है और इसका तरीका वित्तीय राहत होना चाहिए, जिसमें कुछ प्रोत्साहन शामिल हो।
तो मुख्य सचिवों को कोर्ट में तलब करना पड़ेगा
पीठ ने एजी से कहा, चाहें दूसरी फसलों को उपजाने की बात हो या खेतों में पराली जलाने पर रोक की, सरकारें चाहेंगी तभी कुछ होगा। यदि आप इसके बारे में उदासीन हैं तो ऐसा नहीं होगा। एजी ने कहा कि केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि सभी राज्य सरकारें भी हैं। इस पर पीठ ने कहा, तो सभी सरकारें जिम्मेदार हैं। हमारी रुचि नतीजे में है। यदि ऐसा नहीं होता है तो एकमात्र विकल्प यह होगा कि आपके मुख्य सचिवों या संबंधित सचिवों को यहां (अदालत में) रखा जाए। उन्हें तब तक यहां रखा जाए जब तक वे समाधान नहीं खोज लेते। हम ऐसा नहीं करना चाहते। मुझे यकीन है कि वे अपना काम बेहतर ढंग से कर सकते हैं। कृपया समाधान खोजें।
पंजाब सरकार कुछ नहीं कर रही
याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोट किया है कि पूरा पंजाब लाल है (खेत की आग के कारण)। पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा, आग पर नियंत्रण का अनुपालन एक ऐसी चीज है जो पंजाब सरकार की ओर से नहीं किया जा रहा है। इस पर सिंह ने कहा कि कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है और राज्य खेतों में आग के खिलाफ सभी उपाय कर रहा है। पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं और जहां भी आग लगती है, वे उसे बुझा रहे हैं। अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
डीयू में 13 से 19 नवंबर तक शीतकालीन अवकाश घोषित
डीयू ने वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए सभी कॉलेजों में शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया है। छात्रों की छुट्टियां 13 से 19 नवंबर तक रहेंगी। शुक्रवार को इसे लेकर अधिसूचना जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि ग्रैप-4 को ध्यान में रखकर शीतकालीन अवकाश का फैसला लिया गया है। इसमें बताया गया है कि 13 से 19 नवंबर के बीच डीयू के सभी कॉलेज अवकाश के दौरान बंद रहेंगे। हालांकि, सभी पूर्व निर्धारित परीक्षाएं और साक्षात्कार बिना किसी बदलाव के आयोजित किए जाएंगे। डीयू में आमतौर पर दिसंबर में शीतकालीन अवकाश दिया जाता है। लेकिन, बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने समय से पहले ही छुट्टियां घोषित कर दी है।
दरअसल, दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों की हवा खराब श्रेणी में बनी हुई है। बढ़ते प्रदूषण का असर लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में छुट्टी घोषित करने से दूसरे राज्यों के छात्रों को भी राहत मिली है। जो छात्र दिवाली की छुट्टी पर घर गए हैं, वह कुछ दिन और अपने घर में बीता पाएंगे।