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बंगलूरू 04 अगस्त 2024। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक से भूस्खलन के मलबे में दबे लोगों का पता लगाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक से केवल एक निश्चित गहराई तक ही खोजबीन जा सकता है। इसरो प्रमुख सोशल मीडिया पर एक कार्यक्रम के दौरान केरल में भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे, जहां भूस्खलन के मलबे में कई लोगों के अभी भी दबे होने की आशंका है। इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित सेंसरों की अपनी एक सीमा है और वह मलबे में बहुत गहराई में फंसे सामान या व्यक्ति तक नहीं पहुंच सकते। केरल में इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जहां भारी मलबे के बीच लोग दबे हुए हैं। इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच हुए समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर दो भारतीयों को भेजे जाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने की प्रक्रिया ही आपको बहुत कुछ सीख देती है। हमारे एक अंतरिक्ष यात्री को तैयारी की पूरी जमीनी प्रक्रिया में प्रशिक्षित किया जाएगा। वह हमें बताएगा कि कैसे गगनयान मिशन के लिए गगनयात्री को तैयार करना चाहिए।
इसरो प्रमुख ने इसरो की शुरुआती विफलताओं के बारे में भी बात की, जिसने अंततः इसकी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया। सोमनाथ ने कहा, हमारी असफलताओं का पर्याप्त हिस्सा रहा है, और वे सभी असफलताएं हमारे पीछे हैं। लेकिन असफलताओं पर नजर डालना और यह समझना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि वे पहली बार में असफल क्यों हुए। उनके बारे में बोलना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हमारे पहले प्रक्षेपणों में से एक, पीएसएलवी विफल रहा। एसएसएलवी का पहला प्रक्षेपण विफल रहा, हम चंद्रयान 3 के साथ चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग भी नहीं कर सके। वे सभी वास्तविकताएं थीं और जब कोई विफलता होती है, तो विफलता को समझने और उसका विश्लेषण करने के लिए हमारे पास संगठन के भीतर एक बहुत ही ठोस तंत्र है। फिर इसका कारण ढूंढें कि यह विफल क्यों हुआ। उन्होंने कहा, इस तरह इसरो सीखता है कि उन विफलताओं को कैसे कम किया जाए।
सोमनाथ ने कहा कि वह 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग का सम्मान करने के लिए 23 अगस्त को मनाए जाने वाले पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को लेकर उत्साहित हैं। एक घंटे के सत्र के दौरान, जिसमें लगभग 2,000 लोगों ने लॉग इन किया। सोमनाथ ने कुछ मिशनों के कामकाज के बारे में तकनीकी सवालों के भी जवाब दिए। उन्होंने बताया कि एक सिविल इंजीनियर या जीवन विज्ञान की पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर कैसे बना सकता है।