इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 20 नवंरब 2024। संचार उपग्रह जीसैट-एन2 का वजन इसरो की मौजूदा प्रक्षेपण क्षमता से अधिक था। यही कारण रहा कि 4700 किलो वजनी उपग्रह को अंतरिक्ष में सुरक्षित पहुंचाने के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का विकल्प चुनना पड़ा। यह जानकारी देश के शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिक व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने साझा की। सिवन ने कहा, इसरो वर्तमान में 4 टन पेलोड तक ही अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखता है। जबकि जीसैट-एन2 का वजन 4.7 टन था। इसरो की प्रक्षेपण क्षमता बढ़ाने की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। इन पर काम जारी है। पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर ने भी कहा कि भारत ने 4.7 टन वजनी उपग्रह को ले जाने के लिए बड़े प्रक्षेपण यान का विकल्प इसलिए चुना क्योंकि भारत में ऐसी सुविधा नहीं थी। इसरो की योजना अपनी अगली पीढ़ी के वाहनों की क्षमता को दोगुना करने की है, लेकिन हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने स्पेसएक्स का विकल्प चुना है।
इसरो स्पेसएक्स के बीच 6 करोड़ डॉलर का करार
इसरो और स्पेसएक्स के बीच 6 करोड़ डॉलर में भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भेजने के लिए भी एक करार हुआ है। स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट से ही पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को रवाना करेगा।
फ्रांसीसी एरियनस्पेस के पास नहीं था ऑपरेशनल रॉकेट
भारत इससे पहले भारी वजन वाले उपग्रहों को लॉन्च के लिए फ्रांसीसी वाणिज्यिक लॉन्च सेवा प्रदाता एरियनस्पेस पर निर्भर था। लेकिन एरियनस्पेस के पास परिचालन रॉकेटों का अभाव था। वहीं यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस की सेवा उपलब्ध नहीं थी।
सुदूर क्षेत्रों में बेहतर ब्रॉडबैंड सेवा मिलेगी इन-फ्लाइट व समुद्री कनेक्टिविटी बढ़ेगी
जीसैट-एन2 इसरो की इसरो के संचार उपग्रहों की जीसैट श्रृंखला का ही विस्तार है। यह देश के सुदूर क्षेत्रों में बेहतर ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने में मदद करेगा। साथ ही इन-फ्लाइट और समुद्री कनेक्टिविटी (आईएफएमसी) सेवा आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इसमें अंडमान निकोबार समेत उन क्षेत्रों पर मुख्य ध्यान दिया गया है जहां पारंपरिक रूप से कनेक्टिविटी सीमित रही है। इसरो के मुताबिक यह उपग्रह 32 यूजर बीम से सुसज्जित है। जिसमें पूर्वोत्तर में 8 स्पॉट बीम और देश के बाकी हिस्सों में 24 वाइड स्पॉट बीम हैं। यह मल्टी बीम संरचना फ्रीक्वेंसी के पुनः उपयोग की अनुमति देती है, जिससे सिस्टम थ्रूपुट में काफी सुधार होता है।
क्या है फाल्कन 9 रॉकेट
स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट दुनिया का पहला ऑर्बिटल क्लास दोबार इस्तेमाल करने वाला रॉकेट है। इसे दो बार इस्तेमाल करने की खासियत अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत को कम करता है। यह पेलोड और अंतरिक्ष यात्रियों दोनों को पृथ्वी की कक्षा में ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।