सड़क से घग्गर तक पुलिस… शंभू बॉर्डर पर फिर हंगामे के आसार; केंद्र सरकार से नहीं हुई बात

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

पटियाला/अंबाला 08 दिसंबर 2024। फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर दस महीने से धरने पर बैठे पंजाब के किसान रविवार को एक बार फिर दिल्ली के लिए शंभू बॉर्डर से कूच कर गए। शनिवार को केंद्र सरकार की तरफ से बातचीत का कोई न्योता नहीं मिलने पर किसानों ने एलान किया कि 101 मरजीवड़े जत्थे के रूप में दोपहर 12 बजे रवाना होंगे। किसानों के इस एलान के बाद हरियाणा में शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा प्रबंधों को और कड़ा कर दिया गया है। घग्गर दरिया पर भी पहरेदारी बढ़ा दी गई है। घग्गर दरिया के पुल पर वाटर कैनन, ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़ने के प्रबंधों के अलावा भारी पुलिस बल भी तैनात है। 

ऐसी आशंका है कि शुक्रवार की तरह ही रविवार को भी बॉर्डर पर हंगामा हो सकता है। वहीं, खनौरी बॉर्डर से किसानों ने कूच का एलान नहीं किया है, इसके बावजूद वहां भी पुलिस बल तैनात किया गया है। उधर, शनिवार देर रात टिकरी बॉर्डर पर सीआरपीएफ की तीन टुकड़ियों की तैनाती की गई है। शंभू बॉर्डर पर शनिवार शाम प्रेसवार्ता कर किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि शनिवार का दिन उन्होंने केंद्र से बातचीत के लिए रखा था, लेकिन उन्हें कोई न्योता नहीं मिला। इसी कारण फिर से पैदल दिल्ली मार्च का फैसला किया है।  पंधेर ने कहा कि उनका मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासन में ही रहेगा। पंधेर ने कहा कि भाजपा नेता कहते थे कि अगर किसानों ने मांगों को लेकर बात करनी है, तो पैदल क्यों नहीं आते हैं। अब किसान पैदल जाना चाहते हैं तो उन्हें क्यों नहीं जाने दिया जा रहा।

बॉर्डर से एक किमी पहले ही मीडिया को रोकें: डीजीपी
हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कूपर ने पंजाब के डीजीपी गौरव यादव को पत्र लिखकर अपील की है कि बॉर्डर पर जहां बैरिकेडिंग की गई है, उससे करीब एक किलोमीटर पहले ही मीडिया को रोका जाए। शुक्रवार को किसानों के साथ काफी संख्या में मीडिया के नुमाइंदे थे। इस वजह से उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

आंदोलन से हरियाणा के किसान संगठनों का किनारा, पर मांगों का किया समर्थन
किसान आंदोलन से हरियाणा के किसान संगठनों ने पूरी तरह से किनारा किया हुआ है। बीकेयू चढूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि उन्होंने प्रस्ताव रखा कि पिछली बार की तरह सभी किसान संगठन एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन को आगे बढ़ाएं। इसके लिए सभी किसान संगठन से एक-एक सदस्यों को कमेटी में शामिल किया जाए, तभी अपनी बात बन सकती है। मगर आंदोलन करने वाले संगठन ने प्रस्ताव को इन्कार करते हुए कहा कि उन्हें आंदोलन में किसी की जरूरत नहीं है। इसके बाद आंदोलन से दूरी बना ली। भाकियू (टिकैत गुट) के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने कहा आंदोलन करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) संगठन है। यह संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से निकलने वाले किसान नेताओं ने बनाया है। हमारी पांच सदस्यों की कमेटी ने संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) संगठन से आंदोलन को लेकर बातचीत की था। उनकी तरफ से जवाब मिला कि ये उनका अपना आंदोलन हैं, उसे अपने तरीके से चलाएंगे।

शंभू बॉर्डर न खुलने से व्यापारी फिर निराश
अंबाला शहर के व्यापारियों ने कहा, किसान आंदोलन में हलचल बढ़ने के कारण उम्मीद थी कि शंभू बॉर्डर अब खुल जाएगा। मगर शुक्रवार की कार्रवाई के बाद व्यापारियों की उम्मीद भी टूट चुकी है। हाल ही में कुछ क्षेत्रों से हटाए गए बैरिकेड से व्यापारियों को उम्मीद थी कि सीमा खुल जाएगी। दिल्ली कूच की चर्चा के बाद अन्य राज्यों से आने वाले ग्राहक भी अब अंबाला से दूरी बना रहे हैं। इन दिनों शादियों का सीजन है। अंबाला से पंजाब सहित अन्य राज्यों में बहुत अधिक व्यापार किया जाता है। 

शंभू सीमा बंद होने के बाद से ही अंबाला के बाजारों में अब सन्नाटा पसर गया है। पंजाब के छोटे दुकानदारों से संपर्क बनाए रखने के लिए अंबाला के व्यापारी अब पंजाब में जाकर डोर टू डोर टूर कैंपेन कर रहे हैं जिससे दुकानदार अंबाला से जुड़े रहें। हालांकि इससे अधिक फायदा नहीं हुआ है। 

बाजार में छोटे दुकानदार पतन की ओर
व्यापारी राम रत्न गर्ग ने कहा कि व्यापारियों को अब कोई भी संभालने वाला नहीं है। बाजार में छोटे दुकानदार पतन की ओर जा रहे हैं। ऐसे में जल्द ही बाजार खाली हो जाएंगे। सरकार को इसका कोई हल निकालना चाहिए। जिससे व्यापारियों को भी राहत मिले। चूड़ियों के व्यापारी अनिल ने बताया कि इन दिनों शादियों का सीजन है लेकिन बीते वर्षों की तरह अब बाजार में ग्राहक नहीं हैं। अंबाला से जाने वाले होलसेल सामान की मांग घटती जा रही है। छोटे दुकानदार पंजाब के दूसरे शहरों पर निर्भर हो गए हैं। ऐसे में उन्हें व्यापार संबंधी खर्चे निकालना भी मुश्किल हो गया है। इधर शंभू सीमा पर हो रही हलचल से भी व्यापारियों की उम्मीदें टूट गई है।

कृष्ण गंभीर ने कहा कि अब तो व्यापारियों ने उम्मीदें ही छोड़ दी हैं। व्यापारी अपने स्तर पर ही पंजाब के दुकानदारों पर टूर कर रहे हैं जबकि पहले उन्हें फोन पर ही ऑर्डर मिल जाते थे। इससे व्यापारियों का खर्चा भी अधिक बढ़ गया है।

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