उत्तर प्रदेश में 3 दिन और मध्यप्रदेश में 5 दिनों तक रहेगा राजकीय शोक,आज सरकारी कार्यालय और शिक्षण संस्थान बंद रहेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई, अटलजी के साथ वे लंबे समय तक रहे
इंडिया रिपोर्टर लाइव
लखनऊ 21 जुलाई 2020 मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का 85 वर्ष की आयु में मंगलवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। टंडन को 11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार शाम अस्पताल की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन में उनकी हालत क्रिटिकल बताई गई थी। आज शाम 4.30 बजे उनका लखनऊ में अंतिम संस्कार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 5 दिनों तक राजकीय शोक रहेगा।
बेटे आशुतोष ने दी निधन की जानकारी
स्वर्गीय लालजी टंडन के बेटे और उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अशुतोष टंडन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने आज सुबह मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली।
टंडन का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था। लिवर में दिक्कत होने की वजह से 14 जून को इमरजेंसी ऑपरेशन किया गया था। टंडन की हालत में सुधार न होता देख केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बाई पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था।
उन्हें कानून की बेहतर समझ थी: मोदी
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘लालजी टंडन समाज के लिए किए अपने कामों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वे एक कुशल प्रशासक थे। कानूनों मामलों की उन्हें गहरी समझ थी। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ वे लंबे समय तक और करीब से जुड़े रहे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा – कि टंडन का राजनीति में जितना ऊंचा कद था, उतना ही वे लखनऊ में सांस्कृतिक रूप से भी सक्रिय थे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी टंडन के निधन पर दुख जताया।
शिवराज सिंह चौहान ने लालजी टंडन के निधन पर जताया शोक
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल के निधन पर शोक जताते हुए कहा, ‘मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्रद्धेय लालजी टंडन के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। टंडन जी का मार्गदर्शन हम सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को लंबे समय तक मिला। उन्होंने जनता और राष्ट्र की सेवा का एक अद्भुत उदाहरण पेश करते हुए अपनी नीतियों से उत्तर प्रदेश में भाजपा को भी सशक्त किया। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहते हुए टंडनजी ने हमें सदैव सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। राष्ट्र के प्रति उनके प्रेम और प्रगति हेतु योगदान को चिरकाल तक याद रखा जाएगा। आत्मा अजर-अमर है। वे आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु अपने सुविचारों द्वारा वे हमारी स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगे।
बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी लालजी टंडन के निधन पर उनके परिवार के लिए संवेदना प्रकट की है.
संघ से 12 साल की उम्र में जुड़ गए थे
टंडन 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। संघ से जुड़ाव के चलते ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। बाद में जब अटलजी ने लखनऊ की सीट छोड़ी तो बतौर विरासत लालजी टंडन को यह सीट सौंपी गई। 2009 में टंडन ने लोकसभा चुनाव जीता और लखनऊ के सांसद बने।
1960 से शुरू हुआ था लालजी टंडन का राजनीतिक सफर
टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।