इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 05 सितम्बर 2020। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी 132वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के कुल 47 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। इनमें 18 शिक्षिकाएं भी शामिल हैं।
पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, शिक्षक दिवस के अवसर पर आप सभी शिक्षकों के साथ जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। मैं राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने गए सभी शिक्षकों को बधाई देता हूं। सभी शिक्षकों की प्रतिबद्धता, समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता- रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति ने कहा, अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं। शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं जो नागरिकों का विकास करने के लिए चरित्र-निर्माण की नींव हमारे बेटे-बेटियों में डालते हैं। शिक्षक की वास्तविक सफलता है विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना, जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें सहानुभूति, साहस, विवेक, रचनात्मकता, वैज्ञानिक चिंतन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो।
कोरोना संकट में डिजिटल टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही
कोरोना संकट का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, आज पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है। भारत सहित, दुनिया भर के अधिकांश देशों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं या इससे प्रभावित है। ऐसे समय में शिक्षा प्रदान करने में डिजिटल टेक्नोलॉजी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा-
कोरोना के कारण आये इस अचानक बदलाव के समय पारम्परिक शिक्षा के माध्यमों से हटकर डिजिटल माध्यम से पढ़ाने में सभी शिक्षक सहज नहीं हो पा रहे थे, लेकिन इतने कम समय में हमारे शिक्षकों ने डिजिटल माध्यम का उपयोग करके विद्यार्थियों से जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह महत्वपूर्ण है कि, आप में से हर कोई डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड और अपडेट करें जिससे आपके शिक्षण की प्रभावशीलता और अधिक बढ़े।
ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को अभिभावकों के साथ भागीदारी करनी होगी ताकि वे बच्चों के साथ इस प्रक्रिया में सहयोगी बनें और उन्हें रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें। हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के हमारे बेटे-बेटियों को प्राप्त हो सकें।
शिक्षा व्यवस्था में किये जा रहे बुनियादी बदलावों के केंद्र में शिक्षक ही होने चाहिए। नयी शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इस नीति के अनुसार हर स्तर पर शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन करने के प्रयास करने होंगे।