298 किलोमीटर की जगह 22 किलोमीटर रह गई निर्मली से सरायगढ़ की दूरी
1.9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु को बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत आई
इंडिया रिपोर्टर लाइव
पटना 18 सितंबर 2020। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राज्य के लोगों को चौथी सौगात दी। आज कोसी के इलाके के लोगों का 86 साल का इंतजार पूरा हो गया। 2003 में जिस कोसी महासेतु की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी उस पुल का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया। पुल बनाने में 17 साल लग गए। इसके साथ ही पीएम ने समस्तीपुर मंडल के मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी, समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर, समस्तीपुर-खगड़िया खंडों के रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
516 करोड़ रुपए की आई लागत
1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच मीटर गेज लिंक बनाया गया था जो 1934 में विनाशकारी भूकंप की वजह से तबाह हो गया था। इसके बाद से कोसी और मिथिलांचल के बीच रेल संपर्क टूट गया था। 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में कोसी मेगा ब्रिज लाइन परियोजना की आधारशिला रखी थी। 1.9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु को बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत आई।
298 किलोमीटर की जगह 22 किलोमीटर रह गई निर्मली से सरायगढ़ की दूरी
पहले निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है। महासेतु के निर्माण से यह दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट गई।
तटबंधों और बराज निर्माण से साकार हुई पुल की परियोजना
कोसी की धाराओं को नियंत्रित करने का सफल प्रयास पश्चिमी और पूर्वी तटबंध एवं बैराज निर्माण के साथ 1955 में आरंभ हुआ। पूर्वी और पश्चिमी छोर पर 120 किलोमीटर का तटबंध 1959 में पूरा कर लिया गया और 1963 में भीमनगर में बैराज का निर्माण भी पूरा कर लिया गया। इसके बाद कोसी पर पुल बनाने का सपना साकार हो सका।