बंगाल में चक्रवात बुलबुल से चार की मौत, पीएम मोदी ने की ममता से बात, 18 लाख से अधिक लोग सुरक्षित निकाले गए

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली: बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान बुलबुल शनिवार देर रात पश्चिम बंगाल के समुद्री तट से टकरा गया। हालांकि समय बीतने के साथ यह तूफान कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में तेज हवाओं की चपेट में आने से तीन जिलों पूर्व मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना तथा दक्षिण 24 परगना अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। तूफान प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव टीमें भी मुस्तैद हैं। पश्चिम बंगाल में चक्रवात बुलबुल के कारण बारिश के बाद कोलकाता के कुछ हिस्सों में जलभराव की वजह से लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है।

इसके अलावा एतियातन कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर शनिवार शाम छह बजे से अगले 12 घंटों तक उड़ानों का संचालन स्थगित कर दिया गया। इस तूफान का असर बांग्लादेश और ओडिशा के कुछ हिस्सों पर पड़ा। जहां तूफान के कारण कई पेड़ उखड़ गए हैं। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि समय बीतने के साथ यह तूफान कमजोर हो जाएगा। ममता बनर्जी ने राहत और बचाव कार्य की तैयारियों का जायजा लेने के लिए शनिवार को कंट्रोल रूम का दौरा किया था।

बांग्लादेश में रविवार तड़के शक्तिशाली चक्रवात ‘बुलबुल के आने के कारण लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वहीं दूसरी ओर, अब यह तूफान धीरे-धीरे पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेश के कनिष्ठ आपदा प्रबंधन मंत्री एनामुर रहमान ने बताया कि 18 लाख से अधिक लोगों को शनिवार शाम तक सुरक्षित निकाला गया।

शनिवार सुबह तक 5,000 से अधिक आश्रयगृह तैयार किए गए थे। चक्रवात के कारण 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली जबकि तट पार करने के बाद इसके कमजोर पड़ने की संभावना है।

चक्रवात गंगासागर के किनारे टकराया और यह ‘खुलना क्षेत्र से होकर गुजरेगा जिसमें सुंदरवन भी आता है। टीवी चैनल ‘इंडिपेंडेंट की खबर के अनुसार किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बांग्लादेश की नौसेना और तटरक्षक बल को तैयार रखा गया है।

* चक्रवात ‘बुलबुल’ के रविवार तड़के बंगाल तट से टकराया, जिसके बाद से जारी भारी बारिश और तेज हवाओं में दो लोगों के मारे जाने की खबर है। सभी तटीय इलाकों में भारी बारिश हो रही है, जबकि 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही है।

बांग्लादेश के कनिष्ठ आपदा प्रबंधन मंत्री एनामुर रहमान ने बताया कि 18 लाख से अधिक लोगों को शनिवार शाम तक सुरक्षित निकाला गया।

चक्रवात के कारण 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली जबकि तट पार करने के बाद इसके कमजोर पड़ने की संभावना है।

शक्तिशाली तूफान ‘बुलबुल’ के कारण कोलकाता एयरपोर्ट के संचालन पर रोक लगाई गई है। यह रोक शनिवार शाम छह बजे से रविवार सुबह छह बजे तक जारी रहेगी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह बात कही है।

तटरक्षक बल ने कमर कसी
भारतीय तटरक्षक बल के कर्मियों ने गंभीर चक्रवाती तूफान ‘बुलबुल’ के मद्देनजर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है। तटरक्षक बल के महानिरीक्षक राजन बारगोत्रा ने शनिवार को बताया कि पारादीप, धर्मा और सागर द्वीप के तटों पर जहाजों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। तटरक्षक बल के उत्तरपूर्व क्षेत्र के कमांडर बारगोत्रा ने कहा कि इस चक्रवाती तूफान के मद्देनजर ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में मछुआरों को समुद्र में जाने की सलाह नहीं दी गई है।

तीन आपदा प्रबंधन टीमें तैनात
तटरक्षक बल के उपमहानिरीक्षक (पश्चिम बंगाल) एस. आर. दास ने कहा कि तीन आपदा प्रबंधन टीमें समयोचित कार्रवाई के लिए हल्दिया में और दो टीमें 24 परगना जिले के फ्रेजरगंज में तैनात की गई हैं। दास ने कहा, हम कोशिश में जुटे हैं कि कोई भी हताहत न हो। 

ओडिशा में भारी बारिश
‘बुलबुल’ के कारण मध्य ओडिशा के कई हिस्सों में शनिवार को तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हुई, पेड़ उखड़ गए और सड़क संपर्क टूट गया। विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) पी. के. जेना ने बताया कि अभी तक कहीं से भी किसी के हताहत होने की खबर नहीं है हालांकि जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और भद्रक जिलों में कई स्थानों पर बड़ी संख्या में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए।

करीब से रखी जा रही नजर
मुख्य सचिव असित त्रिपाठी ने बताया कि राज्य सरकार स्थिति पर करीब से नजर रख रही है और इससे निपटने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) के कमिर्यों ने प्रभावित इलाकों में यातायात के सुचारु संचालन के लिए उखड़े पेड़ों को सड़कों से हटाने का काम शुरू कर दिया है।

संवेदनशील इलाकों से 3,000 लोगों को निकाला गया 
अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा के कुछ तटीय क्षेत्रों में संवेदनशील और निचले इलाकों से करीब 3,000 लोगों को निकाला गया है। केंद्रपाड़ा जिला प्रशासन ने 1,070 लोगों को सुरक्षित शिविरों में पहुंचाया।

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