इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 22 जून 2020 आज मां भारती के दो सपूतों की है जयंती। ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का जयघोष करने वाले बाल गंगाधर तिलक और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले, बलिदान के पर्याय वीर चंद्रशेखर आज़ाद को देश नमनल कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मां के वीर सपूतों को नमन किया।
महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चन्द्रशेखर आजाद की जयंती है। लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे। बाल गंगाधर तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूंगा। आजादी के परवानों के लिए ये महज कुछ शब्द भर नहीं थे बल्कि एक जोश, एक जुनून था जिसके जरिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां देकर मां भारती को अंग्रेजों से आजादी दिलाई। बाल गंगाधर तिलक। जी हां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के जनक बाल गंगाधर तिलक। समाज सुधारक, राष्ट्रीय नेता, भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञान के विद्वान बाल गंगाधर तिलक। 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक ब्राह्मण परिवार में जन्में तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। जब अंग्रेजों ने तिलक को 1906 में विद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर 6 साल की सजा सुनाई और बर्मा के एक जेल में डाल दिया तो जेल में महान किताब गीता रहस्य लिख डाली जो तिलक जैसा व्यक्तित्व ही कर सकता है। गणेश उत्सव और शिवाजी के जन्म उत्सव जैसे सामाजिक उत्सवों को प्रतिष्ठित कर उन्होंने लोगों को एक साथ जोड़ने का काम भी किया। भारत का यह महान सपूत 1 अगस्त 1920 को हमें अलविदा कह गया। मां भारती की तरफ से लोकमान्य तिलक को शत शत नमन।
महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 के दिन अलीराजपुर जिला के भाबरा गांव में पिता पण्डित सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी के यहां हुआ था। प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भाबरा गाँव में बीता। महज 14 साल के थे जब गांधीजी जी के सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन में में भाग लेने पर वे पहली बार गिरफ़्तार हुए। यही से चन्द्रशेखर के साथ आजाद नाम जुड गया। 9 अगस्त 1925 में काकोरी काण्ड को अंजाम दिया। चन्द्रशेखर आज़ाद ने 8 सितम्बर 1928 को दिल्ली के फीरोजशाह कोटला मैदान में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन” की स्थापना की। उन्होंने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। चन्द्रशेखर आजाद लगातार अपने कारनामों से अंग्रेजों के गुरुर को चकनाचूर करते रहे। 27 फ़रवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद और पुलिस बल के बीच भयंकर गोलीबारी हुई आखीरी गोली बचने पर चन्द्रशेखर आजाद ने खूद को गोली मार ली और इस तरह देश का सच्चा सपूत शहीद हो गया। पंडित जी देश के सच्चे वीर सपूत थे जिनकी शहादत आज भी देश के नौजवानों में राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा भर देती है।
प्रधानमंत्री ने बाल गंगाधर तिलक और महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती पर उनको याद किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एक वीडियो जारी किया।