इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 13 दिसंबर 2022। बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये के खराब ऋण यानी एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी। वित्त मंत्री ने राज्यसभा में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए), खातों के संबंध में जवाब देते हुए कहा कि यह कदम एनपीए के रूप में उनके चार साल पूरे होने के बाद उठाया गया है। राइट-ऑफ के बाद उक्त राशि को संबंधित बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा, “बैंकों अपने बैलेंस शीट को साफ करने, कर लाभ प्राप्त करने और आरबीआई के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड की ओर से अनुमोदित नीति के अनुसार पूंजी का अनुकूलन यह कदम उठाया है। आरबीआई, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से प्राप्त इनपुट के अनुसार पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राशि को राइट ऑफ किया गया है।” उन्होंने कहा कि राइट ऑफ किए गए ऋण के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और कर्जदार से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी रहेगी।
राइट ऑफ करने या बट्टा खाते में डालने से कर्ज लेने वाले को लाभ नहीं होता है। बैंक उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से राइट ऑफ की गई राशि की वसूली जारी रखते हैं। राइट ऑफ के तहत दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत मामले दर्ज करना और नन परफॉर्मिंग असेट्स की बिक्री जैसे कदम उठाए जाते हैं।