सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली/अयोध्या: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच ने शनिवार को अयोध्या मामले में फैसला सुना दिया। शीर्ष कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। संविधान पीठ ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। ढहाए ढांचे के नीचे इस्लामी ढांचा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 10 मुख्य बिंदु…
सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने एकमत होकर फैसला सुनाया
”अयोध्या का 2.77 एकड़ में फैला पूरा विवादित स्थल राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया जाना चाहिए।
”केंद्र सरकार मंदिर के निर्माण के लिए तीन महीने में योजना तैयार करे। निर्माण के लिए एक बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज बनाया जाए। ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए।
”1992 में बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना कानून का उल्लंघन था। सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए।
”1949 में मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे प्रतिमाओं का रखा जाना एक गलत और अपवित्र काम था।
”बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के मुताबिक, ढहाए गए ढांचे के नीचे इस्लामी ढांचा नहीं था। लेकिन एएसआई यह तथ्य स्थापित नहीं कर पाया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।
”हिंदुओं का यह मानना कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ, यह निर्विवादित है। हिंदू-मुस्लिमों की आस्था और विश्वास हैं, लेकिन मालिकाना हक को धर्म, आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता।
”रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था। 1934 में हुए दंगे इशारा करते हैं कि बाद में अंदर के आंगन का मसला गंभीर तकरार का मुद्दा बन गया।
”इसके स्पष्ट साक्ष्य हैं कि हिंदू विवादित ढांचे के बाहरी हिस्से में पूजा करते थे। मुस्लिम पक्ष यह स्थापित नहीं कर पाया कि अंदर के आंगन में उनके पास कब्जे का हक रहा। इस बात के सबूत हैं कि हिंदू विवादित स्थल के प्रांगण में 1857 से ही जा रहे थे।
”इलाहाबाद हाईकोर्ट का विवादित ढांचे को तीन हिस्सों में बांटकर हर पक्ष को एक-तिहाई हिस्सा देने का फैसला गलत था। यह कोई बंटवारे का मुकदमा नहीं था।
”शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है। निर्मोही अखाड़े का जन्मभूमि के प्रबंधन दावा भी खारिज किया जाता है।
देश के लिए नया सवेरा अब मिलकर राष्ट्र निर्माण में जुटने की बारी- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या पर फैसले के बाद शनिवार शाम को देश को संबोधित किया. पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का एक इतिहास रहा है. पूरे देश की ये इच्छा थी कि इस मामले में अदालत में हर रोज सुनवाई हो. और आज फैसला आ चुका है.पीएम मोदी ने कहा कि दशकों तक चली न्याय प्रक्रिया और उस प्रक्रिया का समापन हुआ है. पूरी दुनिया मानती है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. फैसला आने के बाद जिस तरह से हर वर्ग के लोगों ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, भारत के परंपरा को दिखाता है.
पीएम मोदी ने कहा हर समुदाय ने, हर पंथ के लोगों ने, पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति,परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है। अब समाज के नाते, हर भारतीय को अपने कर्तव्य, अपने दायित्व को प्राथमिकता देते हुए काम करना है। हमारे बीच का सौहार्द, हमारी एकता, हमारी शांति, देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी
- पीएम मोदी ने कहा कि – नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है
- आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही, 9 नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे ही है।
आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है - सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है। और इसलिए, देश के न्यायधीश, न्यायालय और हमारी न्यायिक प्रणाली अभिनंदन के अधिकारी हैं
- भारत की न्यायपालिका के इतिहास में भी आज का ये दिन एक स्वर्णिम अध्याय की तरह है। इस विषय पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना, बहुत धैर्य से सुना और सर्वसम्मति से फैसला दिया
- फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग ने, हर समुदाय ने, हर पंथ के लोगों ने, पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति,परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है
- आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है, जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का एक इतिहास है। पूरे देश की ये इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में हर रोज़ सुनवाई हो, जो हुई, और आज निर्णय आ चुका है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नेताओं ने दिए प्रतिक्रिया
भागवत ने कहा- फैसले को जय पराजय की नजर से नहीं देखना चाहिए। देशवासियों से अनुरोध है कि संयमित तरीके से अपनी भावनाएं व्यक्त करें। अतीत की सभी बातों को भुलाकर राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण करें। भारत के नागरिक भारत के नागरिक हैं, किसी हिंदू या मुस्लिम के लिए हमारे अलग संदेश नहीं होते हैं। संघ आंदोलन करने वाला संगठन नहीं है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह- यह एक ऐतिहासिक फैसला है। जनता से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखें।
भाजपा नेता उमा भारती- कोर्ट ने एक निष्पक्ष किंतु दिव्य निर्णय दिया है। मैं आडवाणी जी के घर में उनको माथा टेकने आई हूं। आडवाणी जी ही वे व्यक्ति हैं जिन्होंने छद्म-धर्मनिरपेक्षता को चेलैंज किया। उन्हीं की बदौलत आज हम यहां तक पहुंचे हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी- यदि हमारी समिति तैयार होती है तो हम पुर्नविचार याचिका दाखिल करेंगे। यह हमारा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के नियमों में भी यह है।
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी- हमने हमेशा से यही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, वह हमें मंजूर होगा। मैं उम्मीद करता हूं कि देश अब विकास की ओर अग्रसर होगा। जहां तक सवाल है पुर्नविचार याचिका के दाखिल करने का तो मैं इस बात से सहमत नहीं हूं।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे- आज भारत के इतिहास में एक स्वर्णम दिन है। भगवान राम के जन्म को लेकर विवाद रहा है कि उनका जन्म कब हुआ, कहां हुआ, हुआ भी या नहीं हुआ। इस पर आज न्यायालय ने विराम लगा दिया है। अदालत के फैसले का हम स्वागत करते हैं। 24 तारीख को हम अयोध्या जा रहे हैं। वहां एक ऐसी शक्ति है, जिसे मैंने महसूस किया है। अब मैं बार-बार वहां जरूर जाऊंगा।
बाबा रामदेव- यह ऐतिहासिक फैसला है। भव्य राम मंदिर बनना चाहिए। मुझे भरोसा है कि हिंदू भाई मस्जिद बनने में भी मदद करेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण की पक्षधर है।
मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी– सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुझे मान्य है। हम पूरे देशवासियों से अमन-चैन और सौहार्द बनाए रखने की अपील करते हैं। माननीय न्यायालय का फैसला सभी लोगों को स्वीकार करना चाहिए।
निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा- हम सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं। उन्होंने हमारी 150 सालों की लड़ाई को पहचान दी। केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले उस ट्रस्ट में समुचित स्थान दिया, जो राम मंदिर निर्माण और प्रबंधन का कार्य संभालेगा।
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे- मैं आज खुश हूं। सभी कारसेवकों ने पूरे संघर्ष के दौरान जो त्याग किया, वह व्यर्थ नहीं गया। जल्द से जल्द राम मंदिर बनना चाहिए। राम मंदिर के साथ ही देश में राम राज्य भी आना चाहिए। यह मेरी इच्छा है।
अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान सैयद जैनुल अबेदिन- यह किसी की हार या जीत की बात नहीं है। हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। जो कुछ भी हुआ, वह राष्ट्रहित में हुआ। हमें इस विवाद को यही खत्म करना चाहिए।
अयोध्या विवाद पर फैसला आने से पहले की गई अपील
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी- न्यायालय का जो भी निर्णय हो, देश की एकता, सामाजिक सद्भाव, और आपसी प्रेम की हजारों साल पुरानी परम्परा को बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार- सुप्रीम कोर्ट का फैसला हर किसी को स्वीकार करना चाहिए। इस पर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। हम हर किसी से अपील करते हैं कि नकारात्मक माहौल न बनाएं। आत्मीयता बनाए रखें।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी– हम शांति के पक्ष में शुरू से हैं। मैं बराबर शांति का पुजारी हूं। हम सभी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानना चाहिए।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक- मैं सभी से अपील करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें। शांति और सौहार्द बनाए रखें। भाईचारा हमारी धर्मनिरपेक्षता की पहचान है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी- हमें न्यायालय में पूरा भरोसा है। मैं सभी से अपील करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो, उसे स्वीकार करें। शांति बनाए रखें।
अस्थाई राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास– मैं सभी से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने और शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। प्रधानमंत्री ने सही कहा कि अयोध्या का फैसला किसी की जीत या हार नहीं है।
राम मंदिर का डिजाइन 6 बार तैयार किया गया था
चंद्रकांत ने बताया- हमारा काम देखने के बाद ही 30 साल पहले विहिप ने हमसे संपर्क किया था। अशोक सिंघल ने हमसे मंदिर का मॉडल बनाने को कहा था। उसी वक्त मंदिर के मॉडल और पत्थर तराशने का काम शुरू हुआ था। मंदिर का डिजाइन तैयार करने में 6 महीने लगए। हमने 6 बार अलग-अलग डिजाइन तैयार किए। इसके बाद सिंघल और उनकी टीम को नागर शैली से बना डिजाइन पसंद आया।
राममंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा
उन्होंने कहा, भारत में मंदिर तीन शैलियों में ही बनते हैं। नागर, द्रविड़ और बैसर शैली। राम मंदिर नागर शैली में बनाया जाएगा। यह उत्तर भारत में प्रचलित है। इस शैली के मंदिरों की विशेषता है कि यह आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते हैं। राममंदिर का डिजाइन खास है। इसकी परिक्रमा वृत्ताकार होगी, जबकि गर्भगृह अष्टकोणीय होगा। दो मंजिला मंदिर में भूतल पर मंदिर और ऊपरी मंजिल पर रामदरबार होगा। इसके खंबों पर देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी जाएंगी। गुंबद का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, इसमें वक्त लगेगा।
धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकती है अयोध्या, 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बन सकती है मस्जिद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या देश ही नहीं, बल्कि विश्व के लोगों को एक नए रूप में आकर्षित करेगा। ऐसे में अयोध्या बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक शहर के रूप में विकसित हो सकता है। मस्जिद को 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बनाया जा सकता है। कुसमाहा, जगनपुर और भदरसा गांव पर मस्जिद निर्माण कराया जा सकता है। भास्कर ने 100 स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े रहे विशेषज्ञों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स से प्रो. डिबोलिना कुंडु और केंद्रीय शहरी विकास विभाग के पूर्व सचिव डॉ. सुधीर कृष्णा से जाना- आखिर अयोध्या को किस तरह विकसित किया जा सकता है।
बड़े शहरों से नजदीकी बड़ी ताकत
विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या में बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल के रूप में विकसित होने की क्षमता है, क्योंकि भौगोलिक परिस्थिति और बड़े शहरों से नजदीक होना इसकी बड़ी ताकत है। अयोध्या में रामलला अभी तंबू के अस्थायी मंदिर में हैं, सुविधाएं भी नहीं हैं, तब भी वर्ष 2018-19 के दौरान करीब 1.5 लाख श्रद्धालु बाहर से आए। विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या को अगर सही प्रकार से विकसित कर दिया जाए तो शुरुआती दौर में ही पर्यटकों या श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन पचास हजार तक पहुंच सकती है। वैष्णो देवी और तिरुपति की तर्ज पर अयोध्या एक बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है। इससे यहां और आसपास की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।
अयोध्या की ब्रांडिंग पर करना होगा फोकस
विशेषज्ञ कहते हैं कि संसाधन जुटाने के साथ ही दुनियाभर में अयोध्या की ब्रांडिंग पर भी फोकस करना होगा। उत्तरप्रदेश सरकार को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के होटल और रेस्त्रां चेन खुलवाने के लिए एमओयू करने चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन की आधुनिक सुविधाएं जुटाने के साथ ही विश्वस्तरीय ढांचागत सुविधाओं का विकास करना होगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 79.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसी और करीब एक लाख की आबादी वाली अयोध्या हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। यहां रामचरित मानस के सात खंडों की तर्ज पर संग्रहालय भी बनाया जाना चाहिए। इसमें ईसा पूर्व कोशल महाजनपद, कुषाण से लेकर वर्तमान तक का चित्रण हो।
अमृत योजना से भी अयोध्या को जोडऩा चाहिए
देश के धार्मिक महत्व के शहरों के लिए चल रही हृदय योजना और शहरी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए अमृत योजना से भी अयोध्या को जोडऩा चाहिए, ताकि शहर में नल जल सप्लाई, सेनिटेशन, सीवर, कचरा प्रबंधन, अप्रोच रोड्स, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्ट्रीट लाइट्स आदि का उचित प्रबंध किया जाए। साथ ही नगर का ऐतिहासिक महत्व बना रहे इसलिए ऐतिहासिक महत्व के गलियों, मठों, मंदिर और इमारतों का संरक्षण किया जाना चाहिए। जैसा कि जापान के क्योटो शहर का किया गया। इसी तरह आधुनिकता के साथ अयोध्या का ऐतिहासिक महत्व बरकरार रह पाएगा।
नए मंदिर का बजट कहीं ज्यादा होगा
त्रिलोकीनाथ पांडेय कहते हैं कि अभी तक राम मंदिर का जो मॉडल तैयार था और जिसके आधार पर पत्थर तराशे गए हैं, उनमें कोई कमी नहीं है। पर अब अयोध्यावासियों का मानना है कि यह मॉडल जिस समय बना था, तबसे अब दुनिया बहुत बदली है। सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाने के लिए ही सिर्फ 700 करोड़ का बजट रखा है, योगी सरकार सरयू में 400 करोड़ रुपए की लागत से दुनिया की सबसे ऊंची राम प्रतिमा बना रही है। इसके मुकाबले विहिप के राम मंदिर के प्रोजेक्ट निर्माण का खर्च 140 करोड़ है, जो बेहद मामूली है।
भविष्य की अयोध्या ऐसी हो सकती है
सरयू में क्रूज-अयोध्या से बहने वाली सरयू नदी को पूर्णरूप से साफ करना, काशी की तर्ज पर भव्य घाटों का निर्माण और साथ ही नाव, स्टीमर और क्रूज नदी में चलाए जाने चाहिए। इससे लोगों को रोजगार और सरकार को राजस्व मिलेगा।
इंटरनेशनल एयरपोटर् : क्योंकि अयोध्या का सीधा ऐतिहासिक जुड़ाव नेपाल, दक्षिण कोरिया, थाईलंैंड और इंडोनेशिया आदि जैसे देशों से भी है। इसलिए अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जाए। 2014 में एयरपोर्ट पर एमओयू हुआ था लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ।
नया मास्टर प्लान- सरयू किनारे 221 मीटर ऊंची भगवान राम की प्रस्तावित प्रतिमा का निर्माण शुरू होने के बाद मास्टर प्लान फिर से बनाया जाए। जिससे लोगों को अधिक रोजगार, नए बाजार, पार्क, चौड़ी सड़कें आदि मिल सकें।
आधुनिक स्टेशन-बस स्टैंड- अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाले रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड का निर्माण। एसी बसें और तेजस, शताब्दी की सुविधाओं वाली रेलों को अयोध्या से जोड़ा जाना चाहिए। इससे यहां पर्यटकों की संख्या बड़ेगी।
पांच प्रमुख शहरों का धार्मिक सर्किट- अयोध्या से लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज और बनारस करीब 200 किलोमीटर के दायरे में हैं और ये शहर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। सरकार इन पांचों शहरों को जोड़कर एक सर्किट बनाए। देश की राजधानी दिल्ली से भी अयोध्या 700 किलोमीटर ही दूर है। ऐसे में दिल्ली से अयोध्या को भी एक्सप्रेस वे से जोड़ा जा सकता है।
भारत के सबसे बड़े धार्मिक स्थल
धार्मिक स्थल सालाना श्रद्धालु सालाना आय
तिरुपति बालाजी 2.5 करोड़ 3100 करोड़ रुपए
वैष्णो देवी 90 लाख 418 करोड़ रुपए
शिर्डी सांई मंदिर 1.80 करोड़ 550 करोड़ रुपए
स्वर्ण मंदिर 3.65 करोड़ 80 करोड़ रुपए
सिद्धि विनायक 91 लाख 90- 100 करोड़ रुपए
अयोध्या से अमेरिका तक – वाशिंगटन पोस्ट ने कहा, मोदी की जीत के रूप में देखा जाएगा ये फैसला
वर्षों पुराने अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले से जुड़ी खबरें दुनियाभर के मीडिया में प्रमुखता से ऑनलाइन संस्करणों में प्रकाशित हुई हैं। अधिकतर अखबारों ने फैसले की तारीफ की है।
वर्षों की लड़ाई के बाद फैसला – वाशिंगटन पोस्ट
एक दिन पहले ही अपने ओप-एड में राणा अय्यूब की अयोध्या मामले पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद अखबार ने सुप्रीम फैसले की रिपोर्ट जस की तस अपनी वेबसाइट पर दी है। अखबार ने लिखा, अदालत ने फैसला दिया है कि ध्वस्त मस्जिद स्थल पर हिंदू मंदिर बन सकता है। वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद यह एक ऐतिहासिक फैसला है जिसे हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदायों ने स्वीकार करने की बात कही थी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी जीत के रूप में भी देखा जाएगा क्योंकि हाल ही में मई माह में उन्हें जो जनादेश मिला है उसमें यह भी एक मुद्दा शामिल था।
हिंदुओं को सौंपा विवादित स्थल
विवादित स्थल को भारत की शीर्ष अदालत ने हिंदुओं को सौंप दिया है। अदालत ने ट्रस्ट बनाने और मुस्लिमों को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने को भी कहा है। यह फैसला कुछ लोगों के लिए अच्छा या कुछ के लिए बुरा हो सकता है लेकिन यह एक ऐतिहासिक दिन रहा और इस फैसले का सभी ने सम्मान किया। इस फैसले को सभी ने स्वागत योग्य बताया।
राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य को दिशा देगा
अमेरिकी मीडिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि इससे भारत के राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य को नई दिशा मिलेगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल समेत ज्यादातर अमेरिकी मीडिया ने सर्वसम्मति से लिए गए इस फैसले को प्रमुखता दी। कानून-व्यवस्था की पर्याप्त व्यवस्था की भी अमेरिकी मीडिया ने सराहना की।
कड़ी सुरक्षा में आया फैसला – येरुशलम पोस्ट
भारतीय शीर्ष अदालत ने आखिरकार वही फैसला दिया जो ऐतिहासिक तथ्यों ने साबित किया। उसने विवादित स्थल हिंदुओं को सौंप दिया। इससे पहले देश और उत्तर प्रदेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई ताकि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो। इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरे देश ने सम्मान किया है।
दाइचे वेले ने लिखा, करतारपुर और राम मंदिर दोनों ही ऐतिहासिक
भारत और पाकिस्तान के बीच जहां करतारपुर कॉरिडोर खोलने की खुशी है वहीं भारत में राम मंदिर का रास्ता साफ होने से खुशी का माहौल है।
मंदिर-मस्जिद आंदोलन से जुड़े चर्चित चेहरों की कहानी, सियासत में किनारे हुए या अनंत में विलीन
आखिरकार दशकों की मशक्कत, जोर आजमाइश, संघर्ष और आंदोलन के बाद अयोध्या विवाद पर शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। पांच न्यायधीशों की पीठ ने एकमत से विवादित जमीन पर भगवान राम को मालिकाना हक दे दिया है। इस विवाद के 70 साल बाद राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के समर्थन और विरोध के कारण चर्चा में आईं नामचीन हस्तियां या तो अनंत में विलीन हो गईं, या सियासत से दूर हो गईं। मस्जिद के पक्ष में दशकों संघर्ष करने वाले हामिद अंसारी, सैयद शहाबुद्दीन तो मंदिर के पक्ष में आंदोलन की अगुवाई करने वाले महंत रामचंद्रदास परमहंस, संघ प्रमुख रहे केसी सुदर्शन, अशोक सिंघल, देवराहा बाबा, महंत अवैद्यनाथ अब इस दुनिया में नहीं है। विवादित परिसर का ताला खुलवाने वाले तत्कालीन पीएम राजीव गांधी, बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान पीएम रहे नरसिंह राव भी अनंत में विलीन हो गए। मंदिर के पक्ष में आंदोलन खड़ा करने वाले लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती अब संसदीय राजनीति से दूर हैं तो आडवाणी की रथयात्रा रोकने वाले बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाले में सजा के बाद राजनीतिक करियर खत्म हो गया है।
मुस्लिम पक्ष के चर्चित चेहरे
हामिद अंसारी
साल 1949 से ही बाबरी मस्जिद के सबसे प्रमुख पैरोकार रहे हामिद अंसारी का 95 साल की आयु में 20 जुलाई 2016 को निधन हो गया था। पहले साइकिल फिर दर्जी की दुकान खोलने वाले अंसारी 1961 में बाबरी मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दायर मुकदमे में मुद्दई थे। अंसारी ने ही 1986 में राजीव सरकार द्वारा ताला खोलने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा किया। उनकी राम मंदिर के पैरोकार परमहंस रामचंद्र दास से दोस्ती हमेशा चर्चा में रही।
सैयद शहाबुद्दीन
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी से राजनेता बने सैयद शहाबुद्दीन ने बाबरी मस्जिद के मुख्य पैरोकारों में से थे। इसे धार्मिक की जगह कानूनी मुद्दा मानने वाले शहाबुद्दीन ने मजिस्द निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई। ताला खोलने के खिलाफ गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की घोषणा की। तीन बार सांसद रहे शहाबुद्दीन ने ताला खोलने के विरोध में संसद के 41 मुस्लिम सांसदों के साथ तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से मुलाकात कर बाबरी मस्जिद मुसलमानों को सौंपने की मांग की थी।
15 दिन के अंदर सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक, 5 एकड़ जमीन पर होगा फैसला
इस बैठक में पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसमें विवादित स्थान रामलला विराजमान को दिया गया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन देने का निर्णय किया गया.सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बुलाई बैठक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बुलाई बैठक सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुनायासुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले के बाद बैठक बुलाई15 दिन में बैठक कर 5 एकड़ ज़मीन पर फैसला संभव अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पक्षकारों ने इसपर मंथन करना शुरू कर दिया है. मुस्लिम पक्ष की ओर से सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफऱ फ़ारूखी ने कहा है कि जल्द ही बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी, जो 15 दिन के अंदर ही होगी. उनके अनुसार, इस बैठक में पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसमें विवादित स्थान रामलला विराजमान को दिया गया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन देने का निर्णय किया गया।