
खदानों के निकले जल से लहलहा रही फसलें, मिट रही प्यास
इंडिया रिपोर्टर लाइव
बिलासपुर 22 मार्च 2021। ऐसे समय में जबकि पूरे विश्व में संसाधन के रूप में जल की उपलब्धता एक नयी चुनौती खड़ा कर रही है, कोयला उद्योग के खदानों से निकला जल स्थानीय क्षेत्रों में कृषि कार्य एवं पेयजल के लिए महत्वपूर्ण विकल्प बनकर ऊभरा है। मध्यप्रदेश के शहडोल एवं अनूपपुर जिलों में अवस्थित एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र में एसईसीएल की खदानों से निकले जल के सदुपयोग का सुंदर उदाहरण प्रकाश में आया है। इस क्षेत्र में एसईसीएल की 2 खुली 4 भूमिगत एवं 1 हाईवाल खदान है। इनमें से दामिनी, खैरहा, राजेन्द्रा एवं नवगांव भूमिगत खदान से भूमि जल रिसाव के जरिए जमा हुआ पानी सरफा नदी में छोड़ा जाता है। यह जल सरफा डैम में स्टेप बाई स्टेप फिल्टर के जरिये शुद्ध किया जाता है तथा कोयले के कणों एवं अन्य अशुद्धियों से मुक्त होने के उपरांत खदानों के आसपास के क्षेत्रों में कृषि कार्य हेतु प्रयुक्त होता है। लगभग 1 लाख की आबादी वाले मध्यप्रदेश के शहडोल शहर में घरेलू कार्यों के लिए जल आपूर्ति भी इसी पर आधारित है। अपने इस प्रयास से उत्साहित एसईसीएल प्रबंधन ने यहाँ 9 लाख लीटर सकल क्षमता के 2 फिल्टर प्लांट भी स्थापित किए हैं जिनसे समीपवर्ती 2 गाँवों खन्नाथ एवं चिरहिटी के 5 हजार से अधिक आबादी को जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

इस संबंध में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार एसईसीएल के लगभग 71 खदानों से इस प्रकार के भूमिगत रिसाव से जल प्राप्त होते हैं तथा यह वर्ष 2018 में आईआईटी बीएचयू के अध्ययन के जरिये भी सत्यापित किया गया है। कई क्षेत्रों में खदानों से निकले जल को प्रेशर फिल्टर, रैपिड ग्रेविटी फिल्टर एवं स्लो सैण्ड फिल्टर के जरिये शुद्धित कर अपने काॅलोनी एवं आसपास के क्षेत्रों में पेयजल के रूप में व्यवहार में लाया जाता है तथा अन्य कई क्षेत्रों में प्राइमरी सेटलमेंट के उपरांत यह जल आसपास के गाँवों में सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता है।