इंडिया रिपोर्टर लाइव
वाशिंगटन 26 अक्टूबर 2023। इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष को आज 20 दिन होने जा रहे हैं। दोनों तरफ से हुए हमलों में अब तक करीब आठ हजार लोगों की जान जा चुकी है। फिलहाल, युद्ध के थमने का कोई आसार नहीं दिख रहा है। इस बीच, एक बड़ा दावा किया जा रहा है कि सात अक्तूबर को इस्राइल पर हमला करने से पहले हमास के सैकड़ों आतंकवादियों ने ईरान में एक विशेष प्रशिक्षण लिया गया था।
इस्राइल हमास की क्रूरता के पीछे लगातार ईरान का हाथ होने का आरोप लगा रहा है। इस्राइल का मानना है कि ईरान की वजह से हमास उच्च तकनीक वाली गाजा सीमा बाड़ को निष्क्रिय करने और अपने विनाशकारी हमले को अंजाम देने के लिए सीमा पार स्ट्रीमिंग करने में सफल रहा है। इसकी वजह से ही आतंकवादी कम से कम 224 लोगों को बंधक बनाने में सफल हो पाए। हालांकि, वहीं ईरान ने हमास के हमले का स्वागत किया है, लेकिन इस बात से इनकार भी किया है कि हमले की योजना में उसकी कोई भूमिका थी।
इस्माइल कानी ने भी लिया भाग
रिपोर्ट के अनुसार, कुद्स फोर्स के प्रमुख ईरानी ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल कानी ने आईआरजीसी के नेतृत्व में प्रशिक्षण गतिविधियों में भाग लिया। बता दें, रिपोर्ट प्रकाशित होने से कुछ घंटे पहले, आईडीएफ के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने हमले की योजना बनाने में मदद करने के लिए सीधे ईरान पर अंगुली उठाई थी।
अब भी ईरान कर रहा सहायता
हगारी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईरान ने युद्ध से पहले हमास को प्रशिक्षण, हथियारों, धन और तकनीकी जानकारियों की आपूर्ति के साथ सीधे सहायता प्रदान की थी। उन्होंने कहा, ‘अब भी हमास को ईरान से सहायता मिल रही है। ईरान लगातार आतंकवादियों को इस्राइल की खुफिया जानकारी दे रहा है।’
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हमास और लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के वरिष्ठ सदस्यों का हवाला देते हुए यह भी बताया है कि ईरान के सुरक्षा अधिकारियों ने सात अक्तूबर से पांच दिन पहले ही हमले के लिए हरी झंडी दे दी थी।
अबतक क्या कुछ हुआ?
बता दें, सात अक्तूबर को हमास ने इस्राइल पर अचानक से हमला कर दिया था। जहां हमास के हमले में इस्राइल के 1400 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं, वहीं इस्राइली सेना के पलटवार में गाजा पट्टी में 6500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच गाजा पर इस्राइल की तरफ से लगाए गए आपूर्ति प्रतिबंधों की वजह से आम जरूरतों की कई चीजों की किल्लत हो गई है। ईंधन की कमी के चलते यहां अस्पतालों में भी आम लोगों की ठीक से इलाज नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि डॉक्टर सिर्फ आपात मामलों को ही इलाज के लिए भर्ती कर पा रहे हैं।