पेटलावद विस्फोट: 78 लोगों की मौत का कोई दोषी नहीं, सजा के नाम पर सिर्फ TI का 1600 रुपये का इंक्रीमेंट रोका

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झाबुआ 07 मार्च 2022। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद हादसे में शामिल सभी 7 आरोपियों को जिला अदालत ने बरी कर दिया है। वहीं इस मामले पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार पर सवाल उठाए हैं औरक जांच पैरवी में खामियों की बात कही।  बता दें 12 सितंबर 2015 को झाबुआ में एक जिलेटिन छड़ों के गोदाम में भीषण विस्फोट हुआ था, इस हादसे में 78 लोगों की मौत हो गई थी, हादसा इतना दर्दनाक था कि मृतकों के शरीर के चिथड़े उड़ गए थे, जिन्हें पोटलियों में समेटना पड़ा था। 

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने उठाए सवाल
पेटलावद विस्फोट मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार पर सवाल उठाए। कमलनाथ ने ट्विटर पर पोस्ट शेयर कर लिखा कि मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को जिलेटिन छड़ों के गोदाम में हुए भीषण विस्फोट में 78 बेगुनाहों की दर्दनाक मौत हुई और इस विस्फोट कांड के सारे आरोपी एक-एक कर बरी हो गये…? उन्होंने आगे लिखा कि जांच व पैरवी में खामियों की बात सामने आ रही है। आखिर इन 78 लोगों की मौत का दोषी कौन, सरकार बताये…? पीड़ित परिवारों के लिए उस समय जो घोषणाएं की गयी थीं,वह आज भी अधूरी हैं और उन्हें न्याय तक नहीं मिला। इस विस्फोट कांड के समय दोषियों को सजा दिलाने से लेकर, पीड़ितों को न्याय दिलाने के जितने बड़े-बड़े दावे किए गए थे, सब अधूरे व हवा हवाई साबित हुए। इस दर्दनाक हादसे की तस्वीरें आज भी सामने आती हैं तो मन क्रोधित व द्रवित हो उठता है।

हाल ही में जिला अदालत ने पेटलावद विस्फोट हादसे के मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवां (मृत) और सह आरोपी धर्मेन्द्र राठौड़ को हाल ही में जिला अदालत ने बरी कर दिया है वहीं, विस्फोटक रखने वाले 5 आरोपियों को पहले ही बरी किया जा चुका है। पेटलावद विस्फोट कांड में अलग-अलग मामलों में तीन केस चल रहे थे, तीनों केसों में शामिल 7 आरोपियों को बरी कर दिया है।  

थाना अधिकारी को मिली सजा
पेटलावद विस्फोट में शामिल 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया। हादसे में सजा के तौर पर तत्कालीन पेटलावद थानाधिकारी शिवजी सिंह की एक वेतनवृद्धि सेवानिवृत्ति से ठीक पहले रोकने के आदेश हुए थे। वहीं, इस मामले पर शिवजी सिंह ने कहा कि मामले में मुझे बलि का बकरा बनाया गया, मुझसे पहले कलेक्टर, एसडीएम, एसपी, एसडीओपी की जिम्मेदारी थी कि वे विस्फोटकों की निगरानी करें, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं पाए थे। उन्हें केस से बाहर रखा गया।

कमजोर केस के चलते सजा से बचे आरोपी
इतने भयावह हादसे में शामिल आरोपियों को कोई भी सजा न मिलने का एक बड़ा कारण सरकार की लापरवाही भी रही है। पेटलावद हादसे में पुलिस जांच से लेकर सरकारी पैरवी तक काफी कमजोर थी, जिसके चलते हादसे के किसी भी आरोपी पर किसी तरह का आरोप साबित नहीं हो सका। वहीं सरकार की तरफ से जस्टिस आर्येंद्र कुमार सक्सेना के न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट साढ़े 6 साल में न खोलना भी आरोपियों के बचने का एक बड़ा कारण है। 

प्रत्यक्षदर्शियों को नहीं बनाया गवाह
78 लोगों की दर्दनाक मौत होने के बावजूद पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। केस के दौरान पुलिस ने हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों को गवाह नहीं बनाया। वहीं, जिन्हें गवाह बनाया गया था अभियोजन पक्ष  ने उन्हें कोर्ट में नहीं बुलाया। सरकारी वकील एसके मुवेल का कहना है कि SIT जांच कमजोर थी। वहीं, SIT प्रमुख सीमा ने एसआईटी जांच को सही बताया और पैरवी को कमजोर बताया।

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