
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 19 मई 2022। रूस-यूक्रेन का युद्ध भारतीय छात्रों के लिए भी परेशानी लेकर आया। युद्ध से पहले यूक्रेन में हजारों छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन युद्ध छिड़ जाने के कारण भारतीय छात्रों को पढ़ाई बीच में छोड़कर घर लौटना पड़ा। इस कारण अब हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटका है। वहीं अब भारत सरकार स्वदेश लौटे छात्रों के लिए शेष बची पढ़ाई को देश में ही पूरा करने के लिए योजना बना रही है।
मार्च में दायर की गई थी जनहित याचिका
मार्च में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें यूक्रेन से निकाले गए भारतीय मेडिकल छात्रों के देश में प्रवेश और पढ़ाई जारी रखने के मुद्दे पर निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके बाद कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मामले को देखने के लिए कहा था। सु्प्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को आदेश दिया था कि दो महीने में एक योजना तैयार की जाए जिसमें युद्ध से प्रभावित छात्रों को देश के मेडिकल कालेज में क्लीनिकल प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति दी जाए।
यूक्रेन में फंस गए थे हजारों छात्र
रूस-यूक्रेन में जंग शुरू होने के कारण हजारों छात्र वहां फंस गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना की मदद से और अपनी बेहतरीन विदेश कूटनीति के जरिये करीब 18 हजारों भारतीय नागरिकों और छात्रों को यूक्रेन से रूसी सेना के हमलों और यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई के बीच रेस्क्यू कर भारत सुरक्षित वापस लाया गया था। तब से ही इन छात्रों की पढ़ाई बाधित है और यूक्रेन में सब कुछ तबाह हो चुका है। इसलिए इनका निकट भविष्य में वापस लौटना संभव नहीं है। ऐसें में इन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है।