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कोलंबो 22 मई 2022। श्रीलंका सरकार ने देश में लागू आपातकाल शनिवार को हटा लिया। देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट और सरकार विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दो सप्ताह पहले आपातकाल लागू किया गया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक महीने के अंदर दूसरी बार छह मई की मध्यरात्रि आपातकाल लागू किया था। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने बताया कि चावल, दवाएं और दूध पाउडर जैसी तात्कालिक मदद सामग्री लेकर एक भारतीय पोत रविवार को कोलंबो पहुंचेगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राहत सामग्री से लदा पोत बुधवार को चेन्नई से रवाना किया था। पहली खेप में नौ हजार मीट्रिक टन चावल, दो सौ मीट्रिक टन दूध का पाउडर और 24 मीट्रिक टन दवाएं शामिल हैं जिनका कुल मूल्य 45 करोड़ रुपये है।
छह मई को हुई थी आपातकाल की घोषणा
संकट में घिरे श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आर्थिक संकट को लेकर देश भर में बढ़ रहे सरकार विरोधी विरोधों के बीच एक महीने में दूसरी बार 6 मई की मध्यरात्रि से आपातकाल की घोषणा की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि शुक्रवार आधी रात से आपातकाल की स्थिति हटा ली गई है। देश में सुधर रही कानून व्यवस्था को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।
रद्द हुआ आपातकाल
राष्ट्रपति ने 6 मई को विशेष गजट अधिसूचना के साथ आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी। आपातकाल की स्थिति लागू होने के 14 दिनों के भीतर आपातकालीन विनियम सदन में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हालांकि, सरकार ने संसद में आपातकालीन विनियम पेश नहीं करने का फैसला किया, जिसके बाद 20 मई की मध्यरात्रि से आपातकाल रद्द हो गया।
इससे पहले गुरुवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था।
प्रधानमंत्री ने दिया था ये बयान
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है, लेकिन इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह संसद के कुछ सदस्यों की संपत्ति पर हमला जरूर हुआ था, लेकिन देखते ही गोली मारने का आदेश जारी नहीं किया गया था। गौरतलब है कि श्रीलंका में सरकार समर्थक और सरकार विरोधियों के प्रदर्शनों के दौरान नौ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
आर्थिक संकट का सामना कर रहा है श्रीलंका
गौरतलब है कि 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट विदेशी मुद्रा की कमी के कारण हुआ है, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है। श्रीलंका में मुद्रास्फीति की दर 40 प्रतिशत की ओर बढ़ रही है। देश में भोजन, ईंधन और दवाओं की कमी और पावर ब्लैकआउट के कारण देश भर में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
भारत ने भेजा 40,000 मीट्रिक टन डीजल
इस बीच, भारत ने शनिवार को ही श्रीलंका को दी गई ऋण-सुविधा के तहत 40,000 मीट्रिक टन डीजल की एक अतिरिक्त खेप भेजी है। बता दें, भारत ने श्रीलंका को ईंधन आयात के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा पिछले माह देने की घोषणा की थी। श्रीलंका इन दिनों जरूरी वस्तुओं के आयात का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि उसका विदेशी मुद्रा भंडार बेहद घट गया है।
इसकी वजह से उसकी मुद्रा का मूल्यहस हो गया है और मुद्रास्फीति बहुत बढ़ गई है। इसे लेकर देश भर में राजनीतिक अस्थिरता भी फैल गई है। भारतीय उच्चायोग ने ट्विटर पर एक संदेश में श्रीलंका में डीजल आपूर्ति की पुष्टि की है। उधर, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने एक माह में दूसरी बार 6 मई की मध्यरात्रि को लगा आपातकाल हटा लिया है। देश में कानून-व्यवस्था में सुधार को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
भारत-जापान लाखों डॉलर की खाद्य सामग्री देंगे
भारत और जापान, आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को लाखों डॉलर की खाद्य सामग्री उपलब्ध कराएंगे। श्रीलंका में जापानी दूतावास अधिकारी कात्सुकी कोतारो ने कहा, जापान सरकार विश्व खाद्य कार्यक्रम के जरिये 15 लाख डॉलर की तात्कालिक सहायता देगी जिससे तीन महीने की आवश्यक खाद्य आपूर्ति, चावल, दाल और तेल, श्रीलंका के लगभग 15 हजार शहरी और ग्रामीण लोगों तथा 3,80,000 स्कूली बच्चों को दिया जा सकेगा।