एनटीएजीआई ने जताई मंकीपॉक्स को लेकर चिंता, कहा- कोविड जितना गंभीर नहीं, लेकिन इसका प्रसार चिंता का विषय

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 26 मई 2022। दुनिया में कोरोना का खौफ अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि मंकीपॉक्स नाम के वायरस ने डराना शुरू कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसको लेकर लोगों को चेतावनी दी है। 12 से ज्यादा देशों में इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, भारत में अभी इसके मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे लेकर  ‘नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल’ और ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ को अलर्ट रहने के लिए कहा है। वहीं, कोविड वर्किंग ग्रुप एनटीएजीआई के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा का कहना है कि भले ही मंकीपॉक्स कोविड जितना संक्रामक या गंभीर नहीं है। हालांकि इसका फैलाव चिंता का विषय है। 

एनटीएजीआई के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा ने दी चेतावनी
एनटीएजीआई के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ एनके अरोड़ा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि मंकीपॉक्स कोविड जितना संक्रामक या गंभीर नहीं है। हालांकि इसका फैलाव चिंता का विषय है। इसका इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड लोगों में गंभीर असर होगा। मंकीपॉक्स की कोविड जैसी निगरानी के लिए सरकार ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। 

उन्होंने कहा कि कोविड के अधिकांश मामले उन लोगों में देखे जा रहे हैं जो पिछले 2 वर्षों से अलग-थलग थे । उन्होंने कहा कि भारत के तीन राज्यों में कोरोना के BA4 और BA5 वैरिएंट के मरीज पाए गए हैं, लेकिन कोई स्थानीय प्रकोप नहीं है। इन इलानों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग तेज कर दी गई है। कोरोना की एक और लहर को लेकर उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारे पास ये कहने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि एक और लहर आएगी।

मंकीपॉक्स के संदिग्धों को तय आईसोलेशन सेंटर में रखें: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को निगरानी कड़ी करने के निर्देश जारी किए हैं। केंद्र ने राज्यों को सभी अस्पतालों को मंकीपॉक्स से प्रभावित देशों से बीते 21 दिन में लौटने वाले लोगों में लक्षणों की जांच करने व संदिग्धों को तय स्वास्थ्य सुविधाओं में बनाए गए आईसोलेशन सेंटर में रखने का निर्देश देने को कहा है।

सूत्रों  के मुताबिक अब तक कनाडा से लौटे एक यात्री में ही मंकीपॉक्स के लक्षण मिले हैं और उसे आईसोलेट किया गया है। हालांकि उसके नमूनों की जांच निगेटिव आई थी। मंत्रालय ने हाल ही में सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर मौजूद स्वास्थ्य अधिकारियों से निगरानी कड़ी करने को कहा था। प्रभावित देश से लौटने वालों के नमूनों की जांच कराने का भी निर्देश दिया था। मंकीपॉक्स का संक्रमण पनपने में 7-14 दिन का वक्त लगता है लेकिन यह 5-21 दिन भी हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ भी दे चुका है चेतावनी
वहीं मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में कहा था कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के लगभग 100 के मामलों की पुष्टि हुई है, जो कि गैर-स्थानिक हैं। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा था कि आगे भी मामले तेजी से बढ़ेंगे इसलिए सावधान रहने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि हम अपने साझेदारों के साथ मिलकर मंकीपॉक्स फैलने के संबंध में गंभीरता से काम कर रहे हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण को रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है।

क्या है मंकीपॉक्स संक्रमण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक साल 1970 में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले सामने आए थे। तब से अब तक 11 अफ्रीकी देशों में इस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। अफ्रीकी देशों से बाहर साल 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामलों की पुष्टि की गई थी, इसके 18 साल बाद 2021 में यह पहला मामला है। रिपोर्टस के मुताबिक साल 2003 में घाना से आयात किए गए पालतू कुत्तों के संपर्क में आने के कारण अमेरिका में संक्रमण फैला था। भारत सहित एशियाई देशों में इस तरह के मामलों की पुष्टि नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि मंकीपॉक्स संक्रमण, संक्रमित जानवरों के रक्त, शारीरिक तरल पदार्थ या त्वचा के घाव के संपर्क में आने के कारण इंसानों में फैलता है। यह संक्रमण मूलरूप से किस जानवर से संबंधित है, इस बारे में वैज्ञानिकों को स्पष्ट जानकारी नहीं है।

मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है। लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।  

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