
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 23 अक्टूबर 2022। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3-एम2/वनवेब इंडिया-1 का मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इसे शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात 12.07 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इसरो ने बताया कि ब्रिटेन स्थित ग्राहक के सभी 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों को निर्धारित निचली कक्षाओं (एलईओ) में स्थापित कर दिया गया है। भारी लिफ्ट रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 का नाम बदलकर एलवीएम3 एम2 कर दिया गया है। इसमें 36 ‘वनवेब’ उपग्रह हैं। 43.5 मीटर लंबा और वजनी 644 टन एलवीएम 3 एम2 रॉकेट श्रीहरिकोटा में भारत के रॉकेट पोर्ट के पैड से लॉन्च किया गया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रॉकेट लॉन्च की सफलता के लिए शनिवार सुबह तिरुपति जिले के सुल्लुरपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी देवी मंदिर में एक विशेष पूजा की थी।
यह एक ऐतिहासिक मिशन: सोमनाथ
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रॉकेट लॉन्चिंग के बाद बताया कि “हमने पहले ही दिवाली उत्सव शुरू कर दिया है … 36 में से 16 उपग्रह सफलतापूर्वक सुरक्षित रूप से अलग हो गए हैं, और शेष 20 उपग्रह थोड़ी देर में अलग हो जाएंगे। यह एक ऐतिहासिक मिशन है…यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन के कारण संभव हुआ है क्योंकि वे चाहते थे कि एलवीएम 3 एनएसआईएल के साथ वाणिज्यिक बाजार में सबसे आगे आए, ताकी ताकि वाणिज्यिक कार्यक्षेत्र की खोज और विस्तार के लिए हमारे प्रक्षेपण यान का संचालन किया जा सके।
चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के लिए लगभग तैयार
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने आगे कहा कि चंद्रयान-3 लगभग तैयार है। अंतिम एकीकरण और परीक्षण लगभग पूरा हो गया है। फिर भी, कुछ और परीक्षण लंबित हैं, इसलिए हम इसे थोड़ी देर बाद लॉन्च करना चाहते हैं। इसके लिए दो स्लॉट उपलब्ध हैं एक फरवरी में और दूसरा जून में, लेकिन हम लॉन्च के लिए जून, 2023 का स्लॉट लेना चाहेंगे।
इस लॉन्चिंग के साथ भारत वाणिज्यिक उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए वैश्विक बाजार में अपनी जगह पक्की कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा रॉकेट एलवीएम 3 से ले जाए जा रहे ये उपग्रह लंदन स्थित संचार फर्म वनवेब से संबंधित हैं, जिसमें भारत का भारती एंटरप्राइजेज एक प्रमुख निवेशक है। अंतरिक्ष सेवाओं के वैश्विक कम लागत प्रदाता के रूप में पहले के प्रक्षेपण में इसरो ने जून 2017 में 31 छोटे उपग्रहों को लॉन्च किया था, जिनमें से कई उपग्रह यूरोपीय देशों के थे। 31 छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण से पहले जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “हम हॉलीवुड फिल्म से कम बजट में मंगल ग्रह पर पहुंचे।
पहला व्यावसायिक उपग्रह प्रक्षेपण
रॉकेट एलवीएम 3 का यह पहला व्यावसायिक उपग्रह प्रक्षेपण है। अंतरिक्ष विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने पूर्व में इसरो के एलवीएम3 बोर्ड पर वनवेब लियो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए लंदन-मुख्यालय वाली नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के साथ दो लॉन्च सेवा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का सबसे नया और सबसे भारी रॉकेट चार टन वर्ग के उपग्रह को ले जा सकता है, जो एक बड़े फ्लैटबेड ट्रक के वजन के बराबर है। इस रॉकेट की क्षमता 8,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने की है। इसरो के अनुसार, मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है।
एक और लॉन्चिंग संभव
दरअसल वनवेब के साथ इसरो की डील हुई है। वह ऐसी दो लॉन्चिंग करेगा। यानी इस लॉन्चिंग के बाद एक और लॉन्चिंग होनी है। एनएसआईएल के एक कार्यकारी ने बताया कि अगले साल की पहली छमाही में एलवीएम3 द्वारा 36 वनवेब उपग्रहों का एक और सेट लॉन्च किया जाएगा। इन सैटेलाइट्स को धरती के निचली कक्षा में तैनात किया जाएगा। ये ब्रॉडबैंड कम्यूनिकेशन सैटेलाइट्स हैं। जिनका नाम वनवेब लियो है।
इस रॉकेट की पांचवीं लॉन्चिंग
गौरतलब है कि इससे पहले साल 2019 में इस रॉकेट से चंद्रयान-2 , 2018 में जी सैट -2, 2017 में जी सैट-1 और उससे पहले साल 2014 में क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फियरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट लेकर गया था। ये सारे मिशन भारत सरकार से जुड़े हुए थे, लेकिन यह पहला मौका है जब कोई निजी कंपनी का सैटेलाइट इस रॉकेट में जा रहा है। अब तक इस रॉकेट से चार लॉन्चिंग की गई हैं। चारों की चारों सफल रही है। यह इसकी पांचवीं लॉन्चिंग है।