इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 13 जनवरी 2023। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि वैश्वीकरण के ‘वैश्विक दक्षिण संवेदनशील मॉडल’ का मामला दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है और भारत का रुख आत्म-केंद्रित वैश्वीकरण से मानव-केंद्रित वैश्वीकरण की तरफ जा रहा है। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में विदेश मंत्रियों के सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन विकासशील देशों के हितों, चिंताओं, दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है और खासतौर पर इसका महत्व तब ज्यादा है जब भारत जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत स्पष्ट रूप से देख रहा है कि विकासशील दुनिया की प्रमुख चिंताओं को जी20 बहस और चर्चाओं में शामिल नहीं किया जा रहा है।
वैश्विक समस्याओं का समाधान तलाशने में ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं पर उपयुक्त ध्यान नहीं दिया गया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, कर्ज संकट और रूस-यूक्रेन के बीच संघर्ष के प्रभावों का समाधान तलाशने में विकासशील देशों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को उपयुक्त तवज्जो नहीं दी गई। इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत द्वारा इस साल की जा रही जी- 20 की अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की आवाज, मुद्दे, दृष्टिकोण और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताएं सामने आए और अपनी चर्चाओं में इसे स्पष्ट रूप से व्यक्त करे। उन्होंने कहा कि भारत ‘वैश्विक दक्षिण संवेदनशील मॉडल’ के आधार पर अपने अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने को तैयार है।
दुनिया दक्षिण के लिए अधिक अस्थिर और अनिश्चित हो रही
जयशंकर ने कहा कि दुनिया दक्षिण के लिए अधिक अस्थिर और अनिश्चित हो रही है। साथ ही कोविड काल ने अधिक केंद्रित वैश्विकरण और कमजोर आपूर्ति श्रृंखला के खतरे को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि इससे आगे यूक्रेन संकट ने खासतौर पर खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक सुरक्षा पर दबाव बना दिया है। उन्होंने कहा कि पूंजी प्रवाह प्रभावित हुई है और कर्ज का भार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान एवं बहुस्तरीय विकास बैंक इन चिंताओं से प्रभावी ढंग से निपटने में संघर्ष कर रहे हैं।
भारत अपने अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने को तैयार
विदेश मंत्री ने कहा कि पूरे नहीं किये गए वादों की पृष्ठभूमि में विकासशील देशों से जलवायु से जुड़े विषयों, कार्बन उत्सर्जन के बगैर औद्योगिकीकरण, बढ़ती जलवायु घटनाओं से निपटने, लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने जैसे भार वहन करने की उम्मीद की जाती है। जयशंकर ने कहा कि भारत अपने परिवर्तनकारी सार्वभौम डिजिटल लोक सेवा, वित्तीय भुगतान, प्रत्यक्ष नकद अंतरण, डिजिटल स्वास्थ्य, वाणिज्य, उद्योग सहित अपने अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने को तैयार है।
भारत वैश्विक दक्षिण संवेदनशील मॉडल के लिए बदलावों का पक्षधर
शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री-स्तरीय सत्र में ‘विकासशील देशों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त माहौल’ विषय पर अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि भारत एक वैश्विक दक्षिण संवेदनशील मॉडल के लिए तीन संवेदनशील बदलावों का पक्षधर है। उन्होंने कहा कि इसमें पहला आत्म केंद्रित वैश्विकरण से मानव केंद्रित वैश्विकरण पर, दूसरा प्रौद्योगिकी संरक्षण के तहत सामाजिक बदलाव के लिए वैश्विक दक्षिण नीत नवाचार तथा तीसरा कर्ज सृजित करने वाली परियोजनाओं से मांग सृजित करने एवं सतत विकास सहयोग वाली परियोजनाओं पर जोर शामिल हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत का रिकार्ड अपने आप में कहानी बयां करता है। 78 देशों में हमारी विकास परियोजनाएं मांग से प्रेरित, पारदर्शी, सशक्तिकरण उन्मुख, पर्यावरणोन्मुखी है और विचार विमर्श की पहल पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि हमारा ईमानदार प्रयास होगा कि हम समाज की शांति एवं समृद्धि के लिये एक साथ आएं और एक आवाज में अपनी बात रखें।