
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 30 मई 2023। 29 मई को 75वां संयुक्त राष्ट्र शांति सेना दिवस मनाया गया। हिंसा, अराजकता और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में मानवता की उम्मीद जगाने का नाम ही संयुक्त राष्ट्र शांति सेना है। भारतीय सेना इन अभियानों में अहम भागीदार रही है। 1948 से अब तक विश्व शांति के अभियानों में भारतीय सेना के 2.75 लाख से ज्यादा जवान शामिल हुए हैं।
वैश्विक स्तर पर शांति स्थापना व अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी मोटे तौर पर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों पर है, लेकिन भारत इसका सदस्य नहीं होते हुए भी विश्व शांति के लिए चलाए जाने वाले अभियानों के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में शामिल है। सोमवार को भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के दौरान अपने प्राणों का बलिदान देने वाले साथी सैनिकों को राष्ट्रीय समर स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, थल सेना उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार के साथ नौसेना, वायु सेना, विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।
1948 में फलस्तीन से हुई शुरुआत
29 मई, 1948 में संयुक्त राष्ट्र शांति पर्यवेक्षण संगठन (यूएनटीएसओ) ने अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की मदद से फलस्तीन में शांति स्थापना अभियान शुरू किया।
शांति सैनिकों का योगदान सराहनीय
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 75वें संयुक्त राष्ट्र शांति सेना दिवस संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सराहना करते हुए कहा, संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के साहस, समर्पण और प्रतिबद्धता को सलाम है। शांति व सुरक्षा में उनका योगदान सराहनीय है।
शांति सैनिक दुनिया का धड़कता हुआ दिल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियों गुटेरस ने शांति सैनिकों को दुनिया को जीवित बनाए रखने वाला धड़कता हुआ दिल करार दिया। उन्होंने कहा, इस बार संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस की थीम शांति मेरे साथ शुरू होती है, रखी गई है।
महिला सैनिकों की दूसरी सबसे बड़ी टुकड़ी : संघर्ष क्षेत्रों में महिला शांति सैनिकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, भारत ने मोनस्को और यूनिस्फा अभियानों के तहत दूसरी सबसे बड़ी महिला टुकड़ी तैनात की है।