इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 24 फरवरी 2023। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय कलाएं तनाव और संघर्ष से भरी दुनिया में शांति और सद्भाव फैला सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत की कलाएं देश की सॉफ्ट पावर का सर्वोत्तम उदाहरण हैं। राष्ट्रपति विज्ञान भवन में वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप (अकादमी रत्न) और पुरस्कार प्रदान करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में कला की सबसे पुरानी और बेहतरीन परंपरा विकसित हुई है। आधुनिक युग में हमारे सांस्कृतिक मूल्य और भी उपयोगी हो गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी राष्ट्र की संस्कृति ही उसकी असली पहचान होती है।
नौ दिग्गजों को मिला अकादमी रत्न
राष्ट्रपति ने भरतनाट्यम नृत्यांगना सरोजा वैद्यनाथन, सदनम कृष्णन कुट्टी (कथकली), मणिपुरी नृत्यांगना दर्शन झावेरी, शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्रा, कर्नाटक शहनाई वादक एकेसी नटराजन, तबला वादक स्वप्न चौधरी, कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीतकार टीवी गोपालकृष्णन, लोक गायिका तीजन बाई और संगीतज्ञ भरत गुप्त को अकादमी रत्न से सम्मानित किया। मुर्मू ने 123 लोगों को वर्ष 2019, 2020 और 2021 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया। पुरस्कारों की घोषणा पिछले साल नवंबर में की गई थी।
यूक्रेन संकट से सुरक्षित निकाले गए सैकड़ों भारतीय छात्र डॉक्टरी पूरी करने पहुंचे रूस
युद्ध से घिरे यूक्रेन से सुरक्षित निकाले गए सैकड़ों भारतीय एमबीबीएस छात्र आखिर में अपनी डॉक्टरी पूरी करने यूक्रेन संकट के सूत्रधार रूस पहुंचे हैं। अंतिम वर्ष की छात्रा 25 वर्षीय जिसना जिजि पिछले साल रूस पहुंचीं थीं और इस साल जुलाई में वे अपनी डिग्री पूरी करेंगी। जिजि की तरह सैकड़ों छात्र रूस से इसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं।
जिजि के मुताबिक रूस में बड़ी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया गया। रूस ने किसी तरह का कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूला। केरल की रहने वाली जिजि ने रूस के आर्कान्जेस्क की नार्दन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस पूरा किया है। पिछले साल वह यूक्रेन के सूमी की एक यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के पांचवें वर्ष में थीं। ऑपरेशन गंगा के तहत 17 हजार से अधिक भारतीय जिनमें अधिकतर छात्र थे निकाले गए थे। कई भारतीय छात्रों के लिए यूक्रेन से निकाले जाने के बाद कोई विकल्प नहीं बचा था। बाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण ले लिया। इनमें कई रूस, सर्बिया, उज्बेकिस्तान और अन्य यूरोपीय देशों में गए हैं।