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नई दिल्ली 24 मार्च 2023। रूस-यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। भारत भी प्रभावित हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध का सीधा असर भारत की रक्षा विभाग पर भी पड़ा है। रूस ने इस साल जिन हथियारों की सप्लाई का वादा किया था, वो युद्ध के चलते पूरा नहीं हो सकता है। भारतीय वायुसेना ने इसकी जानकारी दी। कहा कि यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण रूस महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति देने में असमर्थ है, जो उन्हें भारतीय सेना को आपूर्ति करना था। ये पहली बार है जब वायु सेना ने इस तरह का बयान दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय वायु सेना का बयान संसदीय समिति को सौंपा गया है। मंगलवार को इसे वेबसाइट पर प्रकाशित किया। भारतीय वायु सेना ने संसदीय समिति को बताया कि रूस ने इस साल बड़ी खेप में डिलीवरी की योजना बनाई थी, जो यूक्रेन में युद्ध के चलते पूरी नहीं होगी।
वहीं, न्यूज एजेंसी ने इस मसले पर नई दिल्ली में स्थित रूसी दूतावास में संपर्क किया। दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारे पास ऐसी जानकारी नहीं है, जो बताई गई बातों की पुष्टि कर सके।’ वहीं, रूसी सरकार की हथियार निर्माता शाखा रोसोबोरोनेक्सपोर्ट से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। रिपोर्ट में डिलीवरी से संबंधित अधिक जिक्र नहीं किया गया है।
इन हथियारों की सप्लाई रूकी
इस साल सबसे बड़ी सप्लाई S-400 Triumf एयर डिफेंस सिस्टम यूनिट्स की होनी थी। भारत ने 2018 में 5.4 बिलियन डॉलर में इसका ऑडर दिया था। इनमें से तीन यूनिट भारत को मिल चुकी हैं, दो मिलनी बाकी हैं। इसके अलावा एयरफोर्स के Su-30MKI और MiG-29 फाइटर जेट्स के लिए पार्ट्स भी रूस से ही आते हैं। ऐसे में इसकी सप्लाई में भी देरी होगी। रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि पिछले दो दशकों में भारत ने रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश की है। भारत ने रूस के साथ-साथ अब फ्रांस, अमेरिका और इजराइल जैसे पश्चिमी देशों का रुख किया है। भारत वैश्विक कंपनियों के सहयोग से भारतीय कंपनियों को देश में ही अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
भारतीय वायु सेना ने संसदीय पैनल को बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने उसकी आपूर्ति को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए आधुनिकीकरण पर अपने अनुमानित पूंजीगत व्यय को पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में लगभग एक तिहाई कम कर दिया।
वायु सेना का बजट घटा
वायु सेना ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 853 बिलियन रुपए के पूंजीगत व्यय का अनुमान लगाया था और फरवरी में पेश किए गए राष्ट्रीय बजट में इसे घटाकर 588 बिलियन रुपये कर दिया।